Saturday, April 20, 2024
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कब तक जिंदगी से खेलेगी क्षेत्र की खूनी सड़कें और कब जागेगा विभाग …अब तक कई सड़क हादसों का गवाह बनी टिंबी-मिल्लाह – बकरास सड़क


नाहन
 शिलाई के चढ़ेउ के आठ परिवारों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके घरों के चिरागों की यह अंतिम बारात होगी। इस हादसे ने चढ़ेउ गावं के ऐसे जख्म दिए है जो कभी नहीं भर सकते। इसे समय की विडंबना कहें या फिर नियति का विधान। अब हम इस हादसे को किस्मत का दोष कहें या चालक की खता या फिर कहें व्यवस्था की खामी। हर बार खामियाजा लोगों को ही अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है। हर बार दुर्घटना के बाद दोष या तो चालक के सिर मढ़ दिया जाता है या तकनीकी खामी बता दी जाती है। लेकिन ये कोई नही देखता कि यदि खूनी सड़कें न होती तो हादसे भी न होते। लिंक रोड़ बनाते समय राजनीतिक इच्छापूर्ति से अधिक बेहतर सर्वे पर ध्यान देकर सड़कें बनाई जाती तो ऐसे हादसे न होते। आज शिलाई विधानसभा क्षेत्र के टिंबी-बकरास रोड़ पर हुआ दर्दनाक हादसा भी चीख चीख कर कह रहा है कि यदि सड़कें जानलेवा न होती, तीखे मोड़ खूनी न होते तो ऐसे हृदयविदारक समाचार सुनने को न मिलते। पहले भी इस सड़क के मात्र दो किलोमीटर के दायरे पर कई हादसों में सैकड़ों जानें जा चुकी है। फिर भी विभाग सडकों की दशा और सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। बताया जा रहा है कि जहां हादसा हुआ वहां बहुत तीखा मोड़ है। जहां वाहन कंट्रोल करना हर चालक के वस की बात नहीं है। इस सड़क में कई हदसे हो चुके है वाबजूद इसके भी प्रशासन और सम्बंधित विभाग ने कोई सबक नहीं लिया।  इस सड़क पर करीब आधा दर्जन से अधिक ब्लैक स्पॉट है मगर कहीं पर भी साइन बोर्ड नहीं लगे है और न ही सड़क किनारे कोई पैरापिट है। यदि पैरापिट होते तो हो सकता है गाड़ी गहरी खाई में न जाती। इस आधे अधूरे जानलेवा विकास का ठीकरा किसके सिर पर फोड़ा जाए। नशा करके गाड़ी चलाना और ओवरलोडिंग इन खस्ता हालत लिंक रोड़ों में दुर्घटनाओं की संभावना और भी अधिक बढ़ा देती है। जब तक लिंक रोड़ का सही रूप में ग्रेड और चौड़ाई के साथ सुधार नहीं होगा तब तक ऐसी दुर्घटनाएं भविष्य में भी देखने को मिलती रहेगी। सड़कों का सुधार ही इसका एकमात्र समाधान है। पूर्व पंचायत प्रधान बहादुर सिंह, पूर्व उपप्रधान धनवीर सिंह, राजेन्द्र चौहान, सुरेंद्र सिंह, जगपाल चौहान, कपिल, बलबीर, रतन सिंह, सुरेश ने बताया कि लिंक मार्ग बहुत संकरा है, केवल एक वाहन गुजरने की जगह पूरे मार्ग पर है दूसरी गाड़ी आने पर एक किलोमीटर पीछे साइड देने आना होता है। सड़क के किनारे सुरक्षा के लिए पैरापिट व बेरिकेट नही है, कई बार विभाग व सरकार को समाधान के लिए लिखा गया है, अधिकारी व नेताओं की कागजी योजनाओं में बजट भी पास होता है लेकिन धरातल पर खोखली सरकार नजर आ रही है, लिंक मार्ग में तिखेमोड, खड़ी चढ़ाई होने से क्षेत्र के 100 से अधिक युवा अपनी जान गवां चुके है। शासन प्रशासन व सरकार यदि सबक नही लेती है तो आंदोलन किया जाएगा। गिरिपार पत्रकार परिषद अध्यक्ष जगत सिंह तोमर ने सड़क दुर्घटना में मीडिया को प्रशासन का सहयोग न मिलने पर बताया कि अचानक हुए सड़क दुर्घटना में पुलिस प्रशासन, पत्रकारों के साथ जानकारियां साझा करने में आनाकानी करती नजर आई है, पुलिस प्रशासन का नकारात्मक रवैया सामने आया है जिसके कारण पत्रकारों को लोगो की सहायता करने में परेशानियों का सामना करना पड़ा है, जिस तरह प्रशासन अपना कार्य करते है उसी तरफ पत्रकारों को पूरी आजादी है कि वह मौका पर हुई घटना से सम्बंधित जानकारियां प्रशानिक अधिकारियों से प्राप्त करें।

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