Saturday, August 2, 2025
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1999 में जब मैं मुख्यमंत्री बना तो पूरा लॉटरी सिस्टम हमने बंद किया : धूमल

  • उस समय कर्मचारियों की सैलरी, युवाओं की बचत, सेवानिवृत की पेंशन और मजदूरों का पैसा दाव पर लग गई थी, परिवार तबाह हो गए थे।
  • लॉटरी जैसे अभिशाप की आदत ना पड़ जाए इसलिए लगाया था प्रतिबंध
  • भाजपा इस निर्णय की कड़ी निंदा करती है और सरकार से लॉटरी सिस्टम को ना लागू करने की मांग करती है

शिमला, भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रो प्रेम कुमार धूमल ने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सरकार की चार दिवसीय महामंथन मंत्रिमंडल बैठक का सबसे प्रमुख निर्णय, प्रदेश में लॉटरी को पुनः आरंभ करने की निंदा करते हुए कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय से हिमाचल प्रदेश केवल मात्र बर्बादी की ओर बढ़ेगा।

प्रो धूमल ने कहा कि आज से 30 वर्ष पहले 17 अप्रैल 1996 को माननीय उच्च न्यायालय ने प्रदेश में चल रही सिंगल डिजिट लॉटरी की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। इसके उपरांत जब मैं स्वयं 1998 में पहली बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बना उसके अगले वर्ष 1999 में हमारी भाजपा सरकार ने एक मत में निर्णय लिया की हिमाचल प्रदेश में पूरा लॉटरी सिस्टम बंद कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय केवल मात्र एक निर्णय नहीं था, अपितु पूरे प्रदेश को बर्बादी से बचाने की एक दूरगामी सोच थी। उसे समय हिमाचल प्रदेश की सभी श्रेणियों के कर्मचारियों, सेवानिवृत कर्मचारी, मजदूरों एवं युवाओं ने बड़ी संख्या में लॉटरी खरीदनी शुरू कर दी थी, जिसके कारण कर्मचारियों की सैलरी, युवाओं की बचत, सेवानिवृत की पेंशन और मजदूरों का पैसा दाव पर लग गया था और कई परिवार एवं घर तबाह हो गए थे। इस अभिशाप लॉटरी की आदत हिमाचल प्रदेश की जनता को ना लग जाए इसलिए जनहित में लॉटरी को बंद किया गया था।
उस समय कई कर्मचारी एवं सेवानिवृत कर्मचारियों ने अपना वेतनमान एवं रिटायरमेंट की कमाई लॉटरी में गंवा थी।

प्रो प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि 2004 में कांग्रेस की सरकार ने लॉटरी को फिर शुरू किया और उसके उपरांत तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा इस लॉटरी सिस्टम के ऊपर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। शायद पूर्व मुख्यमंत्री को भी समझ आ गया था की लॉटरी एक अभिशाप है। उन्होंने कहा कि उस समय प्रदेश को केवल मात्र इससे लगभग चार-पांच करोड़ की आमदनी हुआ करती थी।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हिमाचल प्रदेश में कुल 231180 कर्मचारी काम कर रहा है, जिसमें से 160000 पक्के कर्मचारी है। इसी तरह से हिमाचल प्रदेश में 9 से 10 लाख बेरोजगार है जिनको इस लॉटरी प्रथा से बड़ा खतरा है, जिससे इनका जीवन दाव पर लग सकता है। हिमाचल की कांग्रेस की सरकार सत्ता में प्रथम कैबिनेट में 1 लाख युवाओं को और 5 साल में 5 लाख युवाओं को पक्की नौकरी देने के वादे पर सत्ता में आई थी पर असलियत जिस प्रकार से निकल कर सामने आ रही है की हिमाचल प्रदेश शराब, चिट्टा, भांग, नशा और लॉटरी का गढ़ बनता दिखाई दे रहा है। भारतीय जनता पार्टी इस निर्णय की कड़ी निंदा करती है और सरकार से मांग करती है कि इस प्रकार के जन विरोधी निर्णय को तुरंत प्रभाव से वापस ले।

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