शिमला : रक्तदान का महत्व कभी कम नहीं हो सकता। कोविडकाल में इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। मंगलवार को ब्लड-कनेक्ट फाउंडेशन और एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के सौजन्य से एक दिवसीय रक्तदान-जागरूकता विषय पर ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किया गया। वेबिनार में ब्लड-कनेक्ट फाउंडेशन की ओर से सुप्रिया शर्मा मुख्य वक्ता रहीं। कुलपति प्रो. डॉ. रमेश चौहान कार्यक्रम में वशिष्ठ अतिथि शामिल हुए। इस ऑनलाइन वेबिनार व कार्यक्रम में एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के छात्रों सहित शिक्षकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। कुलपति रमेश चौहान ने कहा कि रक्तदान का महत्व ऐसे ही नहीं कहा जाता और न ही कोई डॉक्टर इसे मानव शरीर में विकसित कर सकता है, यह परमात्मा का दिया वरदान है। इसकी खूबी यह है कि इसे जितनी बार मर्ज़ी से दान कर लो यह शरीर में हमारे खानपान से दोबारा बन जाता है। कुलपति चौहान ने कहा कि रक्तदान को लेकर बहुत से लोगों के बीच कई तरह की भ्रांतियाँ हैं , इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान की जरूरत है ताकि लोग जरूरतमंद लोगों को रक्तदान कर उनके जीवन को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में हमेशा रक्तदाताओं की कमी के चलते अस्पताल में रक्तबैंक खाली होने से गंभीर रोगियों की समय पर सहायता नहीं हो पाती। मुख्य वक्ता सुप्रिया शर्मा ने छात्रों व शिक्षकोँ को पीपीटी के माध्यम से रक्तदान के महत्व पर प्रकाश डाला कि किस तरह हम रक्तदान कर जरूरतमंद लोगों के जीवन को बचाकर उनको नया जीवन दे सकते हैं। सुप्रिया शर्मा ने कहा कि विश्व में भारत सहित थैलेसीमिया रोग से हज़ारों बच्चे मानव-रक्त समय पर उपलब्ध न होने पर जीवन खो देते हैं। सुप्रिया शर्मा ने वेबिनार के माध्यम से आग्रह किया कि स्वस्थ लोगों को रक्तदान करने के लिए आगे आना चाहिए ताकि असहाय व थैलेसीमिया जैसे रोगों से पीड़ित मासूम बच्चों, दुर्घटनाग्रस्त लोगों, गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों का जीवन बचाया जा सकें। सुप्रिया ने कहा कि रक्तदान से बड़ा कोई महादान नहीं हैं पर इसके प्रति सेवाभाव, जागरूकता और काउंसलिंग की जरूरत है। सुप्रिया शर्मा ने छात्रों द्वारा रक्तदान संबंधी पूछे गए सवालों के उत्तर दिए और छात्रों की रक्तदान संबंधित जनकारी तथा अन्य शंकाओं का चिकित्सय ढंग से निपटारा किया और रक्तदान की सही जानकारी देकर अवगत करवाया। सुप्रिया ने बताया कि ब्लड-कनेक्ट फाउंडेशन की ओर से सभी प्रतिभागी छात्रों को ई-सर्टिफिकेट बतौर सम्मान छात्रों को दिए जाएंगे ताकि वे स्वस्थ लोगों को समाज में रक्तदान के लिए प्रेरित करें। कार्यक्रम के दौरान एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलचिव डॉ. अनिल कुमार पाल, डीन एकेडेमिक्स डॉ. कुलदीप कुमार, प्रो. लोकेश चंदेल, प्रो. अरुण चौधरी, सभी विभागों के विभागाध्यक्ष और प्राध्यापकों ने ऑनलाइन माध्यम से वेबिनार में उपस्थित रहे।
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