Friday, March 29, 2024
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कृषि बिल 2020 के विरोध में शुरू हुए आंदोलन ने बदली है अपनी दशा और दिशा : राकेश बबली

शिमला : भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ राकेश शर्मा बबली ने कहा कि किसानों की आड़ में जिस तरह उपद्रवियों द्वारा पुलिस पर हमला किया गया , पत्थरबाजी और तलवारबाजी की गई , पुलिस पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की गई और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया , ये काफी शर्मनाक और दुखद है । इस हिंसा की जवाबदेही कथित किसान संगठनों एवं उनके कथित स्वयंभू नेताओं की है । किसान आंदोलन की आड़ में जो राजनीति कर रहे हैं और जो इस आंदोलन के जरिए राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं , उन्होंने ही इस आंदोलन को भड़काया है और इसे उग्र बनाया है ।
उन्होंने कहा किसान आंदोलन को हिंसक बनाने और इसे भड़काने के पीछे राहुल गांधी जैसी तमाम विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों की चाल है । राकेश टिकैत , गुरनाम सिंह चढूनी , लक्खा सिधाना , दीप संधू , सतनाम पन्नू , योगेंद्र यादव , सरवन पंढेर जैसे राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए किसानों के नाम पर अचानक निकल आने वाले नेताओं ने इस आन्दोलन को हिंसक बनाया । ऐसा प्रतीत होता है कि लालकिले पर तिरंगे का अपमान और दिल्ली में 26 जनवरी के दिन बड़े पैमाने पर हिंसा इन संगठनों का पहले से ही बनाया गया प्लान था जिसे कांग्रेस , आम आदमी पार्टी , सपा और वामपंथी पार्टियों ने भड़काया ।
राकेश ने कहा दिल्ली हिंसा की तस्वीरों में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी दिखाई दे रहे हैं । इन नेताओं के उकसावे वाले कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं । दीप संधू से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना – देना नहीं है । विगत 6 दिसंबर 2020 को ही स्वयं सन्नी देओल ने ट्वीट कर इसका सार्वजनिक खंडन कर दिया था । और यदि बात फोटो की ही है तो दीप संधू के कई कांग्रेस नेताओं और आम आदमी पार्टी नेताओं के साथ फोटो मीडिया में उपलब्ध है । दसवें राउंड की वार्ता से पहले भी राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस आंदोलन के समाधान की संभावना धूमिल कर दी थी ।
उन्होंने कहा CAA प्रदर्शन के समय भी राहुल गांधी ने रामलीला मैदान में एक रैली की थी जिसके ठीक बाद ही हिंसा भड़क उठी थी । उन्होंने लगातार बयानबाजी कर इस आंदोलन को उग्र एवं हिंसक बनाने में मदद की । 25 जनवरी को भी राहुल गाँधी ने बयान देकर इस आंदोलन को उग्र बनने में मदद की । किसान नेताओं के हाथ में आंदोलन का किसी तरह कोई कंट्रोल नहीं था , ना उन्होंने इसे संभालने की कोई कोशिश की । इन्होंने अपने ही बनाए नियमों की धज्जियां उड़ा दी । ना ही ट्रैफिक रूट का पालन किया गया , ना ही ट्रॉली ना ले जाने के नियम का पालन किया गया , न एक ट्रैक्टर पर अधिकतम पांच लोगों के होने का पालन किया गया और ना ही हथियार न ले जाने के ही नियम का पालन किया गया । स्पष्ट है कि असामाजिक तत्वों ने किसानों के आंदोलन को हाईजैक कर लिया है और कांग्रेस एंड कंपनी एवं कम्युनिस्ट जनता द्वारा बार बार नकारे जाने के बाद इस आंदोलन एवं उपद्रव की आड़ में अपनी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगी हुई है । लाल किला पर उपद्रवियों ने जिस तरह 26 जनवरी के दिन तिरंगे का अपमान कर राष्ट्रद्रोह का परिचय दिया है , इसकी जितनी निंदा की जाए , कम है । देश के अन्नदाता तो ऐसा नहीं कर सकते । दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को होने वाली किसान ट्रेक्टर रैली को लेकर सशर्त NOC जारी किया था । किसान संगठनों को 37 शर्तों के साथ ट्रैक्टर 26 जनवरी को दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक ट्रैक्टर रैली की परमिशन मिली थी लेकिन प्रदर्शनकारियों ने आज सुबह 9 बजे से पूर्व ही हंगामा और हुडदंग मचाते हुए सिंघु और टिकरी बॉर्डर के बैरिकेड्स तोड़ दिए और दिल्ली की और घुसने लगे ।
उन्होंने कहा दिल्ली पुलिस ने 5 हजार लोगों के साथ 5 हजार ट्रैक्टर को परमिशन दी थी और ट्रैक्टर रैली रोड के सिर्फ एक हिस्से में चलने और ट्रैफिक के लिए दो तिहाई रोड खाली रखने की शर्त रखी थी लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इनकी भी अनदेखी की । शर्त के मुताबिक एंबुलेंस , पुलिस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को रास्ता देना था , रास्ते में कहीं भी ट्रैक्टर रैली को रोके नहीं जाने पर भी सहमति बनी थी । ट्रैक्टर रैली के दौरान किसी भी तरह के हथियार लेकर चलने और स्टंट की इजाजत नहीं थी लेकिन प्रदर्शनकारी तलवार के साथ साथ आग्नेयास्त्र एवं अन्य हथियार भी साथ लेकर चले और सुरक्षाकर्मियों पर कई तलवार का भी भय दिखा कर दौड़ाया , डराया गया । ये दृश्य अत्यंत विचलित करने वाले थे । कई पुलिसकर्मियों पर नंगी तलवारों से जानलेवा हमला किया गया । किसान नेताओं ने 37 वादों में से हर एक वादे की उन्हीं लोगों ने धज्जियां उड़ाई । ना ही ट्रैफिक रूट का पालन किया गया , ना ही ट्रॉली ना ले जाने के नियम का पालन किया गया , न एक ट्रैक्टर पर अधिकतम पांच लोगों के होने का पालन किया गया और ना ही हथियार न ले जाने के ही नियम का पालन किया गया । किसान नेताओं ने हिंसक आंदोलन को रोकने या संभालने की कोई कोशिश भी नहीं की । हर तरफ इन उपद्रवियों द्वारा जम कर हिंसा का तांडव मचाया गया । बेकाबू ट्रैक्टरों के साथ किसान आंदोलन की आड़ में उपद्रवियों ने न केवल राष्ट्र की गरिमा के साथ खिलवाड़ किया बल्कि पूरे देश को शर्मसार किया है । कथित किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस के दिन पूरी दिल्ली को हिंसा की आग में झोंक दिया । लाल किले में 200 से अधिक बच्चे कल उपद्रवियों की हिंसा में फंस गए थे जिसमें कई छोटी बच्चियां भी थीं । आखिर इसका जिम्मेदार कौन है ? किसान आंदोलन की आड़ उपद्रवियों द्वारा मचाये गए तांडव में लगभग 300 से अधिक सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं जिसमें से कई की हालत गंभीर बनी हुई है . लाल किले पर उपद्रवियों के आतंक से जान बचाने के लिए कई पुलिसकर्मियों को नहर में कूदना पड़ा , कई गिर पड़े , कई पर तलवार से हमला किया गया , मारा – पीटा गया ।

किसान मोर्चा अध्यक्ष राकेश बबली

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