कांग्रेस के विधायक एवं पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर ने एचपीसीए की चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा एचपीसीए जो सोसायटी थी, उसे कंपनी बनाने के बाद उन्हीं निदेशक मंडल के सदस्यों को शक्तियां दी गई हैं, जिसमें अनुराग ठाकुर भी शामिल हैं।
एचपीसीए का मामला न्यायालय में चलता रहा। 8 जून 1990 को हिमाचल क्रिकेट एसोसिएशन सोसाइटी एक्ट के तहत पंजीकृत की थी। प्रेम कुमार धूमल के कार्यकाल में एसोसिएशन को करोड़ों की जमीनें कौड़ियों के भाव दे दी गई।
उन्होंने कहा कि अनुराग ठाकुर को क्या जरूरत पड़ी की एसोसिएशन का मुख्यालय कानपुर में बना दिया गया। उसके बाद एचपीसीए के नाम से कंपनी का कार्यालय चंडीगढ़ ओर बाद में जालंधर में बनाया गया। 2012 तक कानपुर में कंपनी काम करती रही। 2005 से 2012 तक सोसाइटी व कंपनी दो नाम से एसोसिएशन चलती रही। अनुराग ठाकुर बताएं कि सोसायटी जाली है या फ़िर कंपनी? क्योंकि सोसाइटी एक्ट में इसे कंपनी नही बनाया जा सकता।
रामलाल ठाकुर ने कहा कि धर्मशाला में मामले की जांच के लिए केंद्र ने कमेटी भेजी है। क्या जांच होगी इसका इंतजार है। अब यदि अनुराग ठाकुर एसोसिएशन में अध्यक्ष नहीं रहते हैं तो उनके भाई अरुण धूमल को अध्यक्ष बनाए जाने का रास्ता साफ कर दिया गया है जबकि वह अध्यक्ष नहीं बन सकते। क्योंकि अरुण धूमल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर में थे जिनको अब बाहर किया गया है। ये एक परिवार की कमेटी बनकर रह गई है। अब बाहरी सदस्यों को भी डोनर का नाम दे दिया गया है। एचपीसीए को अब प्राइवेट कंपनी बना दिया गया है। इसमें एक ही परिवार का अधिपत्य चलेगा। इससे क्रिकेट का हित होने वाला नहीं। इससे बड़ा धोखा और सरकारी तंत्र से खिलबाड़ नहीं हो सकता। सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।