Thursday, April 18, 2024
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डीपीआरओ ने किया कोरोना योद्धाओं के सम्मान में लघु वृतचित्र का विमोचन

रेणुका गौतम
कुल्लू : जिला लोक सम्पर्क अधिकारी प्रेम ठाकुर ने कुल्लू के मोहल में मोनू , हरीश व उनकी टीम द्वारा कोरोना योद्धाओं को सम्मान प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार किए गए एक लघु वृतचित्र का विमोचन किया। लगभग अढ़ाई मिनट का यह वृतचित्र जिला में कोरोना वाॅरियर्ज़ और फ्रंटलाईन वर्कर्ज़ द्वारा कोविड-19 के दौरान दी गई सराहनीय सेवाओं को दर्शाता है। वृतचित्र निर्माण में री-इमेजिन संस्था के संस्थापक एवं अध्यक्ष कृष ठाकुर ने भी योगदान दिया है, वंदना ने वायस ओवर किया है। वृतचित्र का संदेश इलैक्ट्राॅनिक व सोशल मीडिया तथा विभिन्न चैनलों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाएगा।
इस अवसर पर प्रेम ठाकुर ने कहा कि निश्चित तौर पर मोनू व उनकी टीम का सराहनीय प्रयास है, जिन्होंने वृतचित्र के माध्यम से समाज में कोरोना योद्धाओं को सम्मान प्रदान करने की सोच को विकसित करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की आरंभिक अवस्था में जब लोगों को संक्रमण से बचने के तौर-तरीकों की जानकारी नहीं थी, तो उन्हें सरकार, प्रशासन व डाॅक्टरों की एडवाईजरी की जरूरत महसूस हुई।
उन्होंने कहा कि कोरोना योद्धाओं ने जिस मुस्तैदी के साथ लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए अपनी जान को जोखिम में डाला, ऐसे प्रयास अभूतपूर्व हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के संकट की लड़ाई में अनेक चिकित्सकों, पुलिस जवानों व अन्य फ्रंटलाईन वर्कर्ज़ ने अपनी जान तक गंवाई हैं। लोगों को उनके बलिदान और सेवाओं पर गर्व है। संकट के इस दौर में मीडिया ने लोगों को जागरूक करने का जो उल्लेखनीय योगदान दिया है, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि देश-प्रदेश के लिए यह अच्छी खबर है कि अब वैक्सीन आ चुकी है, लेकिन मास्क का उपयोग व सामाजिक दूरी की अनुपालना अगले कुछ महीनों अथवा सालों तक करने की जरूरत बताई जा रही है। सभी लोगों को इसका ईमानदारी के साथ पालन करना होगा।
जिला कुल्लू प्रेस क्लब के प्रधान धनेश गौतम ने अपने संबोधन में जिला में कोरोना योद्धाओं द्वारा दी गई उल्लेखनीय सेवाओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरी, गरीबों को भोजन प्रदान करना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य था, जिसे सरकार ने, प्रशासन ने, स्वयं सेवी संस्थाओं तथा मीडिया के लोगों ने बखूबी अंजाम दिया। इसके अलावा, बेसहारा जानवरों को भी भोजन की व्यवस्था की गई, जो कि मानवीय संवेदनाओं का एक संजीव उदाहरण है ।

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