Friday, November 22, 2024
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दो सालों में विभिन्न तरह का नशा करने वाले 1403 युवा व महिलाएं उपचार हेतू पहुंचे अस्पताल

रेणुका गौतम
48 महिलाएं व युवतियों का भी हुआ उपचार, चिट्टा करने वाले सबसे अधिक

एक बार नशे का सेवन करने के चक्कर में कुल्लू जिला की भावी युवा पीढ़ी नशे के गर्त में डूबती जा रही है। और यह गंभीर चिंता का विषय है कि युवा वर्ग केमिकल नशे के साथ-साथ अन्य सभी प्रकार के नशे कर अपनी और अपने परिवार की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। यही वजह है कि नशे का यह नाग जिला के युवा-युवतियों व महिलाओं और उनके परिवारों की खुशियों को डस रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में पिछले दो सालों में विभिन्न प्रकार का नशा करने वाले 1403 युवा-युवतियां व महिलाएं नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए पहुंचे हैं और उनका उपचार भी हुआ। चौंकाने वाली बात यह है कि 2018 के मुकाबले 2019 में नशे करने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है और पहले जहां 18 महिलाएं व युवतियों का उपचार हुआ वहीं, 2019 में यह संख्या 30 पहुंच गई है। उपचार के दौरान यह बात भी सामने आई है कि नशे का सेवन युवा वर्ग किसी पारिवारिक परिस्थिति, कुंठा, हीन भावना या तनाव से मुक्ति के लिए नहीं करते बल्कि नशे में किस तरह का मजा है जिसे पीकर इंसान झूम उठता है और सब कुछ भूल जाता है, इसलिए एक बार इस नशे को चखने के चक्कर में युवा नशा कर रहा है और उसके धीरे-धीेर नशे के मकड़जाल में फंस रहे हैं। 2019 के स्वास्थ विभाग के आंकड़ों के अनुसार 78 फीसद लोग नशा करने की भूल तो करते हैं लेकिन उस भूल को सुधारने की कोशिश कम ही करते हैं।
चिट्टा का नशा करने वालों की संख्या अधिक :
नशे की लत में पड़े जिला कुल्लू के 1403 युवा-युवतियों व महिलाएं वर्ष 2018 व 19 में क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में उपचार के लिए पहुंचे हैं। जिनमें अधिकतर चिट्टा का नशा करने वाले हैं। इसके अलावा एल्कोहल का नशा करने वालों की संख्या दूसरे स्थान पर है, गांजा व भांग करने वाले तीसरे स्थान पर हैं। इसी तरह जिला में तंबाकू का नशा करने वाले भी कम नहीं हैं। इनमें 2018 में करीब 18 महिलाएं व युवतियां थी जबकि 2019 में 30 ने अपना उपचार करवाया।
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डॉ. सत्यव्रत वैद्य, प्रभारी डी एडिक्शन सेंटर कुल्लू से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि बीते दो वर्षों में 1403 मरीज नशा छुड़ाने के लिए कुल्लू अस्पताल आए हैं । और इनमें अधिकतर युवा वर्ग है । इन सभी मरीजों में सबसे ज्यादा चिट्टा का नशा करने वाले थे। उपचार के दौरान यह बात सामने आई है कि सिर्फ मजे के लिए और जल्द पैसा कमाने की होड़ में युवा नशा कर रहे हैं। विभाग की ओर से समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं।

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