प्रदेश उच्च न्यायालय ने सुबाथू केंटोनमेंट क्षेत्र के लोगों को बड़ी राहत देते हुए सुबाथू केंटोनमेंट बोर्ड के पानी की दरों को बढ़ाने के निर्णय को निरस्त कर दिया है। सुबाथू केंटोनमेंट बोर्ड के सिर्फ दो सदस्यों ने ही पानी की दर को प्रति एक हजार लीटर के आठ रुपये से बढ़ाकर 53.50 रुपये करने का फैसला लिया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने निखिल गुप्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया।
कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि जब छावनी को संविधान के अनुसार नगरपालिका माना जाता है तो इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि छावनी एक लोकतांत्रिक संस्था है। इस कारण सरकारी अधिकारियों का निर्णय मान्य न होकर छावनी के ऐसे सदस्य जो सरकारी अधिकारी नहीं है, उनका निर्णय अंतिम माना जाता है। प्रार्थी ने आरोप लगाया था कि सुबाथू छावनी बोर्ड के सिर्फ दो सदस्यों ने ही 19 जुलाई 2021 को प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में पानी की दर को आठ रुपये से बढ़ाकर 53.50 रुपये कर दिया। दलील दी गई थी कि छावनी बोर्ड की ओर से लिया गया यह निर्णय संविधान के प्रावधानों के विपरीत है। अदालत को बताया गया था कि पहले यह बोर्ड फरवरी 2021 को निरस्त हो गया था। इसके बाद सिर्फ दो सदस्यों की ओर से ही लिया गया निर्णय न्यायोचित नहीं है।
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