एक्टिव केस खोजने के लिए तेज करें प्रयास- उपायुक्त आशुतोष गर्ग
रेणुका गौतम, कुल्लू : उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग ने टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत टीबी मुक्त जिला बनाने के लिए निर्धारित लक्ष्यों को लेकर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक हिमाचल प्रदेश को टीबी रोग मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को पूरा करने के कुल्लू ज़िला मे पंचायत स्तर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। पंचायतों की ग्राम सभाओं में स्वास्थ्य अधिकारी व पैरा मैडिकल स्टाफ लोगों को क्षय रोग के बारे जागरूक करेंगे तथा टीबी मुक्त पंचायत के लक्ष्य को पाने के लिए उपलब्ध संसाधनों को भी चिन्हित कर उनका उपयोग सुनिश्चित बनया जाएगा।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने विषय पर बात करते हुए कहा कि अभियान के दौरान प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर प्रधान सहित गठित टीम में उप प्रधान , पंचायत सचिव, चिकित्सा अधिकारी, सीएचओ, आशा वर्कर, एएनएम, आंगनबाडी कार्यकर्ता, शिक्षक शामिल किए गए हैं। जागरूकता फैलाने के साथ ही ग्राम पंचायत में मौजूदा केस फाइंडिंग, स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर जागरूकता के लिए सामुदायिक बैठक का आयोजन किया जायेगा।
बैठक मे पीपीटी प्रस्तुति के माध्यम से जिला क्षेय रोग अधिकारी डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि जिला कुल्लू में वर्ष 2022 में टीबी के कुल 1573 मरीज पंजीकृत किए गए थे तथा वर्ष 2023 में अभी तक कुल 596 मरीज पंजीकृत किए गए हैं। जिनमें से स्वास्थ्य खंड आनी में 68, बंजार में 68,जरी में 263, नगर में 139 तथा निरमंड में 58 मामले पंजीकृत किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि टीबी रोग की जांच विभिन्न तरीकों से करवाई जा सकती है, जिनमें से बलगम जांच, एक्सरे जांच, सीबीनेट तकनीक द्वारा जांच, एफएनएसी बायोप्सी तथा सीटी स्कैन द्वारा इस रोग की जांच करवाई जा सकती है। यदि इनमें से कोई लक्षण किसी भी व्यक्ति को हों तो क्षेत्रीय अस्पताल अन्य चिकित्सा संस्थान में जाकर अपनी जांच तुरन्त करवानी चाहिए। तथा चिकित्सको के परामर्श के अनुसार नियमित रूप से दवा ले ताकि रोगी पूरी तरह स्वस्थ हो सके।
उन्होंने कहा कि टीबी एक संक्रामक रोग है, केवल एक टीबी रोगी 1 वर्ष के दौरान 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है। और यदि दवा न खाए तो खुद उसकी 2 से 3 वर्ष तक सक्रमण के कारण मौत हो जाती है। टीबी के प्रमुख चार लक्षण हैं, जिनमें दो हफ्तों से ज्यादा खांसी, बुखार, वज़न में लगातार गिरावट तथा रात को पसीना आना इत्यादि शामिल हैं।
उन्होंने सभी अधिकारियों और कर्मियों से टीबी मुक्त हिमाचल के लक्ष्य को निर्धारित समय में हासिल करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी अपने कार्यक्षेत्रों में निरीक्षणीय गतिविधियों को बढ़ाएं। पंचायत स्तर पर क्षयरोग निवारण कार्यक्रम के तहत चल रहे टीबी मुक्त पंचायत अभियान की जानकारी देना सुनिश्चित करें। यह भी निर्देश दिए कि इस कार्यक्रम की प्रचार प्रसार योजना ,अनुरूप लक्षित ग्राम पंचायतों, शैक्षणिक संस्थानों, सामुदायिक संगठनों को क्षय रोग होने के जोखिम व बचाव एवं कोई भी लक्षण पाए जाने पर त्वरित निदान में सहयोग के लिए जागरूकता अभियान की निरंतरता बनी रहे।
बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नागराज पवार, चिकित्सा अधीक्षक डॉ नरेश चंद, जिला पंचायत अधिकारी लाल चंद, विभिन्न बीएमओ व चिकित्सा अधिकारी उपस्थित थे।