Thursday, December 12, 2024
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अब कैंसर का इलाज हुआ संभव ..शूलिनी विश्वविद्यालय ने खोजा पॉवर जैल

सोलन : अब आंत के कैंसर पर सीधा वार करने के लिए स्मार्ट नैनो जैल तैयार हो गया है। हिमाचल के सोलन स्थित शूलिनी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और उनकी टीम ने चूहों पर इसका सफल ट्रायल कर लिया है। जल्द ही मानव शरीर पर भी इसका परीक्षण होगा। इसके माध्यम से कैंसर की दवा को सही जगह तक पहुंचाया जा सकेगा। यह जैल आंत के कैंसर के लिए विशेष रूप से लाभदायक होगा। 

मानव शरीर पर जल्द परीक्षण

डॉ. पूनम नेगी ने बताया कि लैब में ट्रायल सफल हो चुका है। चूहों व अन्य जानवरों पर इस्तेमाल के बाद मानव शरीर पर भी इसका परीक्षण किया जाएगा। अब तक कैंसर के लिए कीमो थैरेपी को कारगर इलाज माना जा रहा था, लेकिन उसके कई साइड इफेक्ट होते हैं और सामान्य कोशिकाओं पर उसका गहरा असर पड़ता है। 

कैसे काम करेगा स्मार्ट नैनो जैल

कैंसर रोधी स्मार्ट नैनो जैल ट्रांसपोर्टर का काम करेगा। दुनिया में कई कैंसर रोधी दवाओं का आविष्कार हो चुका है, जो कैंसर पर नियंत्रण के लिए कारगर होती हैं। लेकिन यह पहले ही काम शुरू कर देती हैं, जिससे सामान्य कोशिकाओं पर भी विपरीत असर पड़ता है। इस समस्या का समाधान यह स्मार्ट नैनो जैल है, जो दवा को सीधा कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचाएगा और उन्हें नष्ट कर देगा। इससे शरीर पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह कैप्सूल या टेबलेट के रूप में होगा और जहां कैंसर सेल होंगे वहीं पर काम शुरू करेगा। 

तीन साल की मेहनत से मिली सफलता

स्कूल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसिज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पूनम नेगी ने बताया कि उनकी टीम 2016 से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी। 2018 में इसका पेटेंट करवाया गया। इसमें डॉ. चेतना वर्मा और डॉ. दीपक पठानिया पूरा योगदान रहा है। चेतना और पूनम ने पीएचडी साथ में की थी। चेतना अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में पोस्ट डॉक्टरल फेलो हैं। डॉ दीपक पठानिया जम्मू के केंद्रीय विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान विभाग के प्रमुख हैं। आइआइटी दिल्ली में प्रोफेसर प्रो भुवनेश गुप्ता ने भी योगदान दिया।

दुनिया की सबसे घातक बीमारी

कैंसर सबसे जटिल बीमारियों में शामिल है और दुनियाभर में मानव जीवन के नुकसान के मुख्य कारणों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक वैश्विक कैंसर मृत्यु दर 45 से बढ़कर 70 प्रतिशत होने की आशंका है। विश्व कैंसर अनुसंधान कोष के 2018 के आंकड़ों के अनुसार कोलोरेक्टल कैंसर यानी  पेट या मलाशय का कैंसर 2018 में दुनियाभर में तीसरा सबसे आम कैंसर है, जिसमें 18 लाख से अधिक नए मामले हैं। 

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