हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ ने भविष्य में नियुक्त होने वाले चिकित्सकों के एनपीए को रोके जाने का एकमत से विरोध जताया है। इस संदर्भ में वित्त विभाग की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। वेतन को लेकर हिमाचल में पंजाब की तर्ज पर निर्णय लिए जाते हैं यह निर्णय चिकित्सकों के हित में नहीं है साथ ही यह एक जनविरोधी निर्णय भी है। यदि चिकित्सा अधिकारी अपनी प्रैक्टिस करते हैं तो इससे जनता का आउट ऑफ पॉकेट एक्सपेंडिचर ही बढ़ेगा इसके कारण प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं भी चरमरा सकती हैं। चिकित्सक संघ ने कहा कि हिमाचल के चिकित्सकों ने कड़ी मेहनत से राज्य को देशभर में सर्वोत्तम स्थान पर पहुंचाया है क्योंकि हिमाचल में चिकित्सकों को एनपीए दिया जाता है वहीं जिन राज्यों में एनपीए नहीं दिया जाता है उनके हेल्थ इंडिकेटर बहुत ही निम्न स्तर पर हैं।
हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ की मीटिंग डॉ राजेश राणा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। इस वार्ता में संघ के सह सलाहकार डॉक्टर संत लाल शर्मा, जीवानंद चौहान, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ अनुपम बधन, डॉक्टर सौरभ शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ अनंत विजय राघव, डॉक्टर करनजीत सिंह, डॉक्टर अंजली चौहान, डॉ मोनिका पठानिया, महासचिव डॉ विकास ठाकुर, संयुक्त सचिव डॉ जितेंद्र सिंह रुड़की, डॉक्टर सुनीश चौहान, डॉक्टर मोहित डोगरा, डॉक्टर यासमीन, कोषाध्यक्ष डॉक्टर प्रवीण चौहान, प्रेस सचिव डॉक्टर विजय राय, शिमला इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर दीपक कैंथला सचिव डॉक्टर योगराज, कांगड़ा इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर सुन्नी धीमान, सचिव डॉक्टर उदय सिंह, इकाई से डॉ राहुल कतना, सोलन इकाई से सचिव डॉ उदित, सिम सिरमौर इकाई के अध्यक्ष डॉ पीयूष तिवारी, चंबा इकाई के सचिव डॉ कारण हितैषी, कुल्लू इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर कल्याण ठाकुर, मंडी इकाई से डॉ अमित ठाकुर, हमीरपुर इकाई से डॉ सुरेंद्र, बिलासपुर इकाई से सचिव डॉ प्रदीप, डॉक्टर पारस सहगल, डॉक्टर मोहम्मद आसिफ,डॉ दुष्यंत, डॉ विवेक शारदा, डॉक्टर अंकुश, डॉक्टर बोध, डॉ मोहन आदि राज्य कार्यकारिणी समिति सदस्य मौजूद रहे।
संघ ने उठाई की है कि डाक्टरों को मिलने वाला नॉन प्रैक्टिस अलाउंस बंद नहीं होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि डॉक्टरों की ड्यूटी बाकी विभागों में तैनात कर्मचारियों व अधिकारियों से काफी अलग है। हर परिस्थिति में डॉक्टरों को सेवाएं देनी पड़ती है। डॉक्टरों को दिन-रात सेवाएं देने के बावजूद भी अगर सरकार का यह रवैया रहता है, तो यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है । डॉक्टरों का काम जनसेवा से जुड़ा हुआ है आपदा के समय भी डॉक्टर जान जोखिम में डालकर सेवाएं देते हैं चाहे कोविड-19 में हो चाहे कोई भी अन्य परिस्थिति हो उस दौरान भी डाक्टरों ने दिन-रात एक करके काम किया है । स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में हिमाचल अग्रणी राज्यों में शुमार है। इस तरह के निर्णय से प्रदेश की जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए संघ का सरकार से यह आग्रह है कि इस तरह का कोई भी निर्णय लेने से पहले डॉक्टरों को विश्वास में लिया जाए।
चिकित्सक नियुक्त होने के बाद 25 से 30 साल सेवाएं देने के बाद ही खंड चिकित्सा अधिकारी बनता है ऐसे में चिकित्सकों को एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत 4-9-14 इंक्रीमेंट का लाभ दिया जाता था उसे भी छीन लेना न्याय संगत नहीं है क्योंकि खंड चिकित्सा अधिकारियों के पद 100 से भी कम है और वहीं दूसरी ओर अफसरशाही उन्हें भरने के लिए जागरूक नहीं है आज भी खंड शिक्षा अधिकारी के 20 से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं ऐसे में चिकित्सकों को 4-9-14 का टाइम स्केल दिया जाना न्याय संगत है। यह टाइम स्केल बिहार जैसे राज्यों में भी दिया जा रहा है पर हिमाचल में इसे रोक देना चिकित्सकों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों और अधिकारियों को पिछली सरकार में 150% ग्रेड पे का अनुदान दिया गया । लेकिन स्वास्थ्य विभाग में एक ही साथ नियुक्त चिकित्सकों को यह अनुदान अलग-अलग रूप में दिया गया। इस संदर्भ में हमने स्वास्थ्य सचिव विभाग प्रेस हर जगह प्रतिनिधित्व किया। कोई भी व्यक्ति अगर वह अनपढ़ भी हो तो भी इस त्रुटि को समझ जाएगा लेकिन स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी और अफसरशाही इसका निवारण करने में असफल रहे हैं।