जिला में सड़कों की हालत भी हो गई हैं खस्ता नहीं हो रही मरम्मत
कुल्लू जिला सड़क परिवहन जनहित विकास समिति ने उपायुक्त को दिया ज्ञापन
रेणुका गौतम
कुल्लू : लोगों को मूलभूत सुविधा देना सरकार व प्रशासन का काम है। जिला में पीने के पानी को त्राही-त्राही मची हुई है लेकिन प्रशासन गंभीर नहीं है। सड़कों की हालत खस्ता है और विभाग सोया हुआ है। यह बात पूर्व मंत्री एवं कुल्लू जिला
सड़क परिवहन जनहित विकास समिति के अध्यक्ष सत्य प्रकाश ठाकुर ने कही। वे यहां सत्य प्रेम भवन भूट्टी कालोनी में समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अब हर माह की सात तरीक को बैठक हुआ करेगी। उन्होंने कहा कि लोगों को पीने का पानी नहीं मिला तो समिति को मजबूरन संघर्ष की राह पकड़नी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि जिला में सड़कों की हालत भी खस्ता हो गई हैं और सरकार इसके प्रति गंभीर नहीं है। जबकि सेब, प्लम, नाशपाती आदि का सीजन सिर पर है। इस विषय को लेकर कुल्लू जिला सड़क परिवहन जनहित विकास समिति ने उपायुक्त को ज्ञापन भी सौंपा। उन्होंने कहा कि गत माह भी ज्ञापन दिया गया था बावजूद इसके समस्याओं का समाधान नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत भूमतीर,दुआड़ा,बड़ाग्रां, कलेहली पंचायत के गांव बंजर,शाड़ावाई, उप्पर कलेहली, हाट के फल्ट नाला आदि क्षेत्रों में पानी की बूंद- बूंद को लोग तरस रहे हैं लेकिन कोई भी समाधान नहीं किया है और विभाग कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है। इसके अलावा जुआणी रोपा से थर्माण तक सड़क की हालत खराब है और टायरिंग उखड़ गई है। वहीं ग्राम पंचायत हालाहण में सब्जी मंडी क्षेत्र के साथ क्रेट बायर लगानी चाहिये। अन्यथा वहां सड़क को खतरा हो गया है। उन्होंने मांग की है कि ग्राम पंचायत बड़ाग्रां की सड़क को लोनिवि में शामिल किया जाना चाहिए ताकि सड़क की मरम्मत हो सके।
इस अवसर पर समिति के महासचिव बलदेव सिंह ठाकुर ने कहा कि जिला में कई समस्याएं हैं और सरकार गहरी निंद्रा में सोई हुई है। उन्होंने कहा सरकार के परिनिधि सिर्फ घोषणाओं को करने में व्यस्त हैं लेकिन धरातल पर कोई भी काम नहीं हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बजौरा से लेकर भुंतर तक भी सड़क की हालत खस्ता है और यहां नालियां भी नहीं बनी है और कई घरों का पानी सीधा सड़क पर प्रवाहित हो रहा है। जिससे स्थानीय लोगों व वाहन चालकों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार व प्रशासन का यही रवैया रहा तो भविष्य में समिति को स्थानीय लोगों के सहयोग से सड़कों पर उतरना पड़ेगा।