Saturday, July 27, 2024
Homeमंडीदेव कमरूनाग के नए पंखे की प्रतिष्ठा शिकारी देवी में लगे जयकारे

देव कमरूनाग के नए पंखे की प्रतिष्ठा शिकारी देवी में लगे जयकारे

काठाबांई के जंगल में करेगें विश्राम, आज पहुंचगें कमरूनाग मंदिर

मृगेंद्र पाल

गोहर (मंडी) :शिकारी देवी से शक्तियां लेकर देव कमरूनाग शुक्रवार को वापिस लौट आएं है। देव कमरूनाग और उनके कारकारिंदें वीरवार को शिकारी देवी के और दर्शनों और आशीर्वाद लेने के लिए निकले थे। शिकारी देवी के दर पहुंचकर नए सुरजपंखे की प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्रतिष्ठा का कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा।शिकारी देवी और देव कमरूनाग के गुर और पुजारीयों द्वारा आरध्य शक्तियों को बुलाकर नए पंखे में प्राण डाले गए।

इस अवसर को देखने के लिए सैंकड़ों की संख्या में नाचन और सराज के लोगों का तांता लगा रहा। शुक्रवार सुबह देव कमरूनाग को सभी देव शक्ति प्राप्त होने के बाद शिकारी देवी का परिसर जयकारों और मंदिर की घंटियों व वाद्ययंत्रों से गूंज उठा। इसके बाद देव कमरूनाग और उनके सभी कारकरिंदों ने शिकारी देवी का शुभ आशीर्वाद पाकर कमरूनाग के मंदिर की ओर प्रस्थान कर चुके है, शनिवार को कमरूनाग पहुंचेगें।शुक्रवार रात्री का विश्राम देव कमरूनाग काठाबांई नामक स्थान पर करेगें, जोकि देव कमरूनाग मंदिर से पांच किलामीटर पीछे हैं। मान्यता है कि जब-जब देव कमरूनाग शिकारी देवी से लौटते है तो काठाबाई में रात्री ठहराव करते है। बजुर्गो की माने तो काठाबांई में पाडवों ने पानी पीआ था और रात को आराम कर अगले पड़ाव की ओर रवाना हुए थे। इस स्थान पर सभी तिरपाल का टैंट लगाकर ठहरेगें क्योंकि यह स्थान सुनसान जंगल में स्थित है। रात्री विश्राम और दावत व देवता की आवभगत कमरूनाग के पास स्थित बरनोग गांव के लोग करेगें तथा रात भर जगराता भी होगा।

देव कमरूनाग के गुर लीलमणी ने बताया कि देव कमरूनाग शिकारी देवी से सभी देवशक्तियां लेकर लौट आएं है। रात्री विश्राम काठाबांई में करने के बाद शनिवार को देव कमरूनाग के मंदिर में दर्शनों के लिए विराजमान रहेगें। रविवार को कमरूनाग की पवित्र झील की सफाई की जाएगी, उसके बाद देव कमरूनाग को कांढी-कमरूनाग में उनकी कोठी में लाया जाएगा।

Most Popular