सिरमौर : पच्छाद भाजपा से बागी हुए निर्दलीय उम्मदीवार आशीष सिक्टा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सती और दो कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज और डॉ. राजीव सैजल जैसे ही आशीष सिक्टा के साथ राजगढ़ पहुंचकर एक निजी होटल में रूके। वहां पर सिक्टा के समर्थक उग्र हो गए और सिक्टा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सर्मथकों द्वारा सिक्टा बिक गया, सिक्टा मुर्दाबाद के नारे लगाए गए।
इसी बीच भाजपा समर्थक आशीष सिक्टा को गाड़ी में बिठाकर एसडीएम कार्यालय ले गए, जहां पर उन्होंने नाम वापिस ले लिया गया। आशीष सिक्टा ने मिडिया से बातचीत में कहा कि वह संगठन में वर्षो से जुडे है और उन्होंने अपने शीर्ष नेतृत्व से मिलने के उपरांत संगठन के हित में अपना नाम वापिस लिया है। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सती ने कहा कि भाजपा बहुत बड़ा परिवार है। बडे परिवार में छुटमुट बाते होती रहती है। सिक्टा संगठन के कर्मठ कार्यकर्ता है और उनका पुन: परिवार में आने के लिए स्वागत है। उन्होने कहा कि सिक्टा भविष्य में पार्टी के लिए कार्य करते रहेगें।
विदित रहे कि आशीष सिक्टा द्वारा नामाकंन पत्र भरने के दौरान पच्छाद के युवाओं द्वारा जिस प्रकार अपना शक्ति प्रदर्शन किया गया था, उससे प्रतीत होता था कि सिक्टा अपना नाम वापिस नहीं लेगें। सिक्टा द्वारा अपना नाम वापिस लेने से युवाओं में काफी निराशा हुई है। वर्ष 1982 के विधानसभा चुनाव के उपरांत पहली बार पच्छाद के लोगों द्वारा किसी आजाद प्रत्याशी को समर्थन देने का निर्णय लिया गया था। इसी प्रकार वर्ष 1982 में पच्छाद की जनता ने जीआर मुसाफिर को आजाद उम्मीदवार के रूप में विधानसभा में भेजा था। जबकि भाजपा से बागी हुईं दयाल प्यारी को गत दो दिनों से जारी मनाने की सारी कोशिशे फेल हो गई है।
पच्छाद उप चुनाव में अब कुल पांच उम्मीदवार मैदान में रह गए है। जिसमें भाजपा प्रत्याशी रीना कश्यप, कांग्रेस पार्टी से गंगूराम मुसाफिर के अतिरिक्त तीन प्रत्याशी दयाल प्यारी, सुरेन्द्र पाल छिंदा और पवन कुमार आजाद उम्मीदवार शामिल है। जिसकी पुष्टि सहायक निर्वाचन अधिकारी एवं एसडीएम राजगढ़ नरेश वर्मा ने की है।
गौेरतलब है कि भाजपा टिकट न मिलने पर छात्र नेता आशीष सिक्टा और जिला परिषद सदस्य दयाल प्यारी द्वारा पार्टी के खिलाफ बगावत करते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना परचा दाखिल किया गया था। संगठन के पदाधिकारियों द्वारा दोनो बागी प्रत्याशियों केा अपना नाम वापिस लेने बारे काफी दवाब बनाया गया। जिसमें छात्र नेता अपना नाम वापिस लेने के लिए राजी हो गए।