दिल्ली : प्लास्टिक के बढ़ते प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है हमारे प्रतिदिन के जीवन मैं प्लास्टिक ने एक ऐसी जगह बना ली है जिसको नकारना बहुत मुश्किल है परंतु एसके दुष्प्रभाव को देखते हुए ही बीते दिनों केंद्र सरकार ने देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के उपयोग पर प्रतिबंध तो जरूर लगा दिया है, लेकिन अभी भी इसका कोई खास असर सामने नहीं आया है। मौजूदा हालात के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। आंकड़े की मानें तो पिछले पांच सालों में देश में प्लास्टिक की खपत 21 प्रतिशत तक बढ़ गई है जबकि इसमें से 16 प्रतिशत प्लास्टिक को ही रिसाइकिल किया जा रहा है। बाकी का पांच प्रतिशत कचरे के रूप में वातावरण को दूषित कर रहा है। राज्यों की सिविक एजेंसियों ने इससे लड़ने के लिए अपने-अपने प्रयास तेज कर दिए
प्लास्टिक से छुटकारे में लगेगा समय
मगर विशेषज्ञों की मानें तो इस स्थिति के संभलने में अभी समय लगेगा। आइएफएटी इंडिया द्वारा दिल्ली के एक होटल में ‘प्लास्टिक न्यूट्रेलिटी थ्रू सर्कुलर इकोनोमी’ विषय पर हुई सामूहिक चर्चा में यह आशंका सामने आई। इस चर्चा में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार संचिता जिंदल, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के सदस्य सचिव डॉ के एस जयचंद्रन, गाजियाबाद नगर निगम आयुक्त महेन्द्र सिंह तंवर और जम्मू नगर निगम के मेयर चंदर मोहन आदि शामिल हुए।
सिंगल यूज प्लास्टिक से बने सामानों पर प्रतिबंध
इस समूह चर्चा में सूत्रधार की भूमिका भारतीय प्रदूषण नियंत्रण संगठन (आइपीसीए) के निदेशक डॉ आशीष जैन ने संभाली। डॉ के एस जयचंद्रन ने कहा कि दिल्ली में सरकार प्लास्टिक अपशिष्ट में कमी लाने के लिए सक्रिय कदम बढ़ा रही है। सिंगल यूज प्लास्टिक के तहत आने वाले 19 आइटम पहले से प्रतिबंधित किए जा चुके हैं। आने वाले समय में और प्रतिबंध लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस बदलाव से प्रतिदिन 550 टन सिंगल यूज प्लास्टिक व्यर्थ की कमी लाई जा सकेगी।
रिड्यूस-रिसाइकिल-रीयूज को मिलेगा बढ़ावा
महेन्द्र सिंह तंवर ने कहा कि गाजियाबाद में 1100 सौ टन प्लास्टिक कचरा प्रतिदिन निकलता है, जिसमें से 10 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा वेस्ट में चला जाता है। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक को मैनेज करने की जरूरत है। प्लास्टिक के राक्षस को या तो खत्म कर दें या फिर उसे दोस्त बना लें। खत्म करने के लिए इसका इस्तेमाल अन्य किसी चीज में कर लें या फिर उसका उपयोग रिसाइकिल करके दोबारा कर लें। आशीष जैन ने कहा कि सरकार और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत में सर्कुलर अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए काम कर रहे हैं और प्लास्टिक के रिड्यूस, रिसाइकिल, रीयूज को बढ़ावा देने और प्लास्टिक को पर्यावरण से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए प्रयासरत हैं।
प्लास्टिक के उपयोग को खत्म करना मुश्किल
उद्योग जगत के परिप्रेक्ष्य पर चर्चा करते हुए तुषार रंजन पटनायक, कार्पोरेट हेड ईएचएस, डाबर इंडिया ने कहा, ”पिछले दो साल कचरा प्रबंधन की दृष्टि से क्रान्तिकारी रहे हैं। एसयूपी पर पिछले महीने से रोक लगा दी गई है, यह स्थायी विकास की दिशा में अच्छा कदम है। हम प्लास्टिक के उपयोग को कम कर सकते हैं, लेकिन इसे शून्य नहीं कर सकते। इसलिए हमें पैकेजिंग सेक्टर को प्लास्टिक वेस्ट न्यूट्रल बनाना होगा। यह कार्बन फुटप्रिन्ट कम करने की दिशा मे जिम्मेदार ब्राण्ड के रूप में हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पर्यावरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता सरकारी नियमों (25 -70 प्रतिशत रीसाइक्लेबिलिटी) से कहीं अधिक है। हम 100 प्रतिशत प्लास्टिक वेस्ट न्यूट्रेलिटी के साथ इस सीमा को पार कर रहे हैं।
साभार दैनिक जागरण