कैंसर को ठीक करने वाले विश्व विख्यात डॉक्टर यशी ढोडेन का मंगलवार सुबह निधन हो गया। 93 वर्षीय यशी ढोडेन मैक्लोडगंज में अशोका होटल स्थित आवास में रहते थे। दुनिया भर से मरीज उनके पास उपचार के लिए पहुंचते थे। उन्होंने हजारों लोगों को नई जिंदगी दी थी। जहां मेडिकल साइंस फेल हो जाती थी वहां डॉक्टर यशी के इलाज से मरीज स्वस्थ होकर वापस जाते थे।
मैक्लोडगंज में पद्मश्री डॉक्टर यशी ढोडेन के निधन के बाद उनकी पार्थिव देह पर खाता अर्पित कर श्रद्धांजिल देते तिब्बती समुदाय के लोग।
डॉॅक्टर यशी की शानदार सेवाओं के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री अवार्ड दिया था। डॉक्टर यशी मैक्लोडगंज में तिब्बती धर्मगुरु महामहिम दलाई लामा के निजी चिकित्सक भी रहे। 1962 से 1970 तक यशी ने दलाई लामा के निजी चिकित्सक के रूप में सेवाएं दीं। इसके अलावा 20 साल से ज्यादा समय तक वह दलाई लामा के साथ जुड़े रहे और उन्हें चिकित्सीय परामर्श देते रहे। उन्होंने देश-विदेश के हजारों लोगों को नई जिंदगी दी। बताया जा रहा है डॉक्टर यशी के निधन पर दलाई लामा भी मंदिर में पूजा अर्चना कर प्रार्थना करेंगे।
मैक्लोडगंज में मंगलवार को पद्मश्री डॉक्टर यशी ढोडेन के निधन के बाद पूजा में बैठे बौद्ध अनुयायी। बताया जा रहा है बौद्व अनुयायी 49 दिनों तक विशेष पूजा अर्चना करेंगे।
डॉक्टर यशी एक वर्ष से अस्वस्थ थे व उन्होंने अस्पताल में बैठना भी कम कर दिया था। उनकी अनुपस्थिति में उनकी विशेष तौर पर प्रशिक्षित टीम लोगों का उपचार करती थी। मैक्लोडगंज में होटल अशोका के पास अस्पताल में लोगों का उपचार किया जाता है। यहां मरीजों की इतनी भीड़ रहती है कि पंजीकरण करवाने पर दो से तीन महीने के बाद बारी आती है। डॉक्टर यशी का निधन लोगों के लिए एक बड़ी क्षति है। उनका अंतिम संस्कार तिब्बती विधि विधान द्वारा शुक्रवार को होगा। आज विशेष पूजा की जा रही है।