सोलन,
शूलिनी विश्वविद्यालय में योगानंद सेंटर फॉर थियोलॉजी (वाईसीटी) ने प्राचीन भारतीय ज्ञान और योग विज्ञान के स्कूल के सहयोग से खुशी के विज्ञान पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी की मेजबानी की।
संगोष्ठी में योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष स्वामी समरानंद गिरी द्वारा एक व्यावहारिक मुख्य सत्र प्रस्तुत किया गया।
शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. पी के खोसला ने श्रोताओं को संबोधित किया और अतिथियों का अभिनंदन किया।
सत्र की शुरुआत सेमीनार की सम्मानित अतिथि ईकाम रेजोनेंस की संस्थापक ईका बनर्जी ने अपने ज्ञान को साझा करते हुए और सवाल पूछते हुए की, “हमें खुशी से क्या रोकता है?” और क्रोध और अपेक्षाओं को कैसे प्रबंधित करें। उन्होंने छात्रों के साथ तीन महत्वपूर्ण गुणों को साझा किया जिसमें क्षेत्र, कर्म और क्रिया या नकारात्मक विचारों को विकल्पों के साथ बदलने की क्रिया शामिल है।
संगोष्ठी के अतिथि वक्ता स्वामी स्वर्णानंद गिरि थे, जो योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष, स्वामी ने खुशी के विज्ञान, सोने के और आनंद और ध्यान के बीच संबंध के बारे में बात की। उन्होंने जोर देकर कहा कि ध्यान को “सचेत नींद” कहा जा सकता है और आत्म-सम्मान और अहंकार के बीच के सूक्ष्म अंतर पर प्रकाश डाला। उन्होंने आगे कहा कि हालांकि खुशी व्यक्तिपरक है लेकिन वैज्ञानिक होनी चाहिए और ध्यान द्वारा निर्मित की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि ध्यान आपकी आंतरिक आत्मा को छूने का एक तरीका है। प्राचीन संतों ने कहा कि श्वास और मन जुड़े हुए हैं, इसलिए ध्यान इस वैज्ञानिक तकनीक का पालन करके खुशी प्राप्त करता है। स्वामी गिरि ने एक संवादात्मक सत्र में उपस्थित लोगों के साथ बातचीत की, जहां उन्होंने उनके साथ ध्यान किया, जिससे दर्शकों को गहरा अनुभव हुआ।
कुलपति प्रो अतुल खोसला ने स्वामी स्वर्णानंद गिरि को उनके व्यावहारिक व्याख्यान के लिए धन्यवाद दिया और छात्रों को विनम्रता का अर्थ समझने और ध्यान का अभ्यास शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगस्त तक शूलिनी यूनिवर्सिटी में सेंटर ऑफ हैप्पीनेस शुरू किया जायगा ।
इस अवसर पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया तथा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा भी की गई। विजेता संपूर्ण तिवारी और आएशी मजूमदार रहे। फर्स्ट रनर अप इशिता ठाकुर और आश्रय पांडेय रहीं। ईशा और आशीष वर्मा सेकेंड रनरअप रहे।संगोष्ठी में चांसलर प्रो पीके खोसला, वाइस चांसलर अतुल खोसला, श्रीमती सरोज खोसला अध्यक्ष SILB, विवेक अत्रेय पूर्व-IAS और प्रेरक वक्ता ने भाग लिया। वाईसीटी समन्वयक और सहायक प्रोफेसर सुप्रिया श्रीवास्तव द्वारा समन्वयित किया गया था। संगोष्ठी का समापन पूर्व आईएएस और प्रेरक वक्ता विवेक अत्रेय द्वारा औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि हमने हर दिन जो कुछ भी सीखना है उसका उदाहरण देना चाहिए।