शिमला : स्थानीय एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में सोमवार को स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज की ओर से एक दिवसीय अभिनय और थिएटर विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया। यह वेबिनार स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. कुशा पंडित चावला की अगुवाई में अभिनय और थिएटर व रंगमंच की पढ़ाई करने वाले छात्रों व अभिनय और थिअटर में रुचि रखने वालों को टेलैंट को इस विधा में सही ढंग से निखारने और अभिनय व थिएटर को कैरियर के रूप में अपनाने बारे आयोजित किया गया। एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के छात्रों सहित अभिनय और थिएटर में रुचि रखने वाले शिक्षकों और अभिनय व थिएटर से जुड़े कई लोगों ने वेबिनार में भाग लिया। वेबिनार में जाने माने थिएटर कलाकार अनिल शर्मा मुख्य वक्ता रहे। अनिल शर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि नाटक कोई पाठ्य-पुस्तक नहीं है जैसे कि कहानी और उपन्यास का संबंध पाठकों से होता है जबकि नाटक, अभिनय का सीधा संबंध रंगमंच से होता है और उससे नाटक, अभिनय की जीवंतता है, नाटक की सही कसौटी भी है। अनिल शर्मा ने छात्रों को अभिनय, थिएटर में कैरियर बनाने के लिए प्रेरित किया कि छात्र इस विधा को एक कैरियर-विकल्प के रूप में चुनें लेकिन इससे पहले वे अभिनय, थिएटर, स्क्रिप्ट-लेखन से लेकर रंगमंच पर अभिनय किये जाने वाली सभी प्रक्रियाओं, निर्देशन, चरित्र-निर्माण, भेषभूषा, हावभावों और साजसज्जा के आधारभूत ढांचे पर अपनी पकड़ बनानी चाहिए ताकि अभिनय और रंगमंच के माध्यम से समाज को प्रतिबिंबित किया जा सके और सही दिशा निर्देश कर सकें। मुख्य वक्ता ने वेबिनार में छात्रों को सफल अभिनेता और रंगकर्मी बनने के टिप्स भी दिए और कहा कि नाटक के प्रस्तुतिकरण में अनेक व्यक्तियों का सामूहिक योगदान जैसे नाटक लेखन, निर्देशन, अभिनेता, सज़्ज़ा सहायक, मंच-व्यवस्थापक, प्रकाश-चालक और इनके पीछे कार्य करने वाले अनेक शिल्पी तथा कारीगरों को योगदान रहता है। उन्होंने कहा कि कोरोनकाल में अभिनय , नाटक गतिविधियों पर एक प्रकार से बाधा जरूर है पर नाटक, अभिनय रंगमंच पर ही सही साबित होते हैं क्योंकि नाटक मंच पर ही सही ज़िन्दगी जीता है और नाटक में प्राणप्रतिष्ठा भी मंच ही करता है। वेबिनार में छात्रों ने अभिनय और थिएटर से जुड़े ढेरों सवाल पूछे जिनका मुख्य वक़्ता अनिल शर्मा ने बड़े सुलझे ढंग से उदाहरण सहित उत्तर दिए और छात्रों के कई अनभिज्ञ व अनछुए अभिनय और थिएटर संबंधी पहलुओं का समाधान किया। डॉ. कुशा पंडित चावला ने अपने विचार छात्रों से साँझा करते हुए कहा कि अभिनय, नाट्यशास्त्र व थिएटर अपने आप में प्रगतिशील सूचनाओं का संग्रह है जिसके पात्रों के माध्यम से समाज को चित्रित कर सही दिशा निर्देश किया जा सकता है। डॉ. कुशा पंडित चावला ने कहा कि छात्रों को अभिनय और थिएटर में कैरियर बनाना चाहिए ताकि उन्हें सिनेमा के बड़े पर्दे पर जाने में भी आसानी हों और उनके पास एक कैरियर विकल्प भी रहें। वेबिनार में एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलचिव डॉ. अनिल कुमार पाल, डीन एकेडेमिक्स डॉ. कुलदीप कुमार, डॉ. सुनील ठाकुर, डॉ. नील सिंह, प्रो. लोकेश चंदेल, प्रो. अरुण चौधरी, सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक और कार्यकारी अधिकारी उपस्थित रहे।
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