Wednesday, August 6, 2025
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हिमाचल के संसदीय सचिवों पर लटकी कोर्ट की तलवार, मुख्यमंत्री बोले कानूनी प्रक्रिया का करेंगे सामने

शिमला:- हिमाचल में नियुक्त किए गए छः संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने का मामला एक बार फिर प्रदेश हाईकोर्ट के पास है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस द्वारा दायर आवेदन पर न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने मामले पर आगामी सुनवाई 21 अप्रैल को निर्धारित की है।

पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस ने वर्ष 2016 में बनाए गए संसदीय सचिवों के बदले छह मुख्य संसदीय सचिवों को प्रतिवादी बनाए जाने के लिए आवेदन किया है। याचिकाकर्ता ने वर्ष 2016 में हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) अधिनियम, 2006 को चुनौती दी थी। अभी तक हाईकोर्ट में यह मामला लंबित है।

हिमाचल में अर्की विधानसभा क्षेत्र से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल बराक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को CPS बनाया गया है। मुख्य संसदीय सचिव लाभ के पदों पर तैनात है जिन्हें प्रतिमाह 2,20,000 रूपये बतौर वेतन और भत्ते के रूप में अदा किया जाता है।

संसदीय सचिवों की नियुक्ति को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट भी गैरकानूनी ठहरा चुका है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फ़ीसदी से अधिक नहीं हो सकती। CPS मामले को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा की ये कानूनी प्रक्रिया है। जिसका जबाब सरकार देगी।

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