प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा समय पर जवाब दाखिल न करने पर 20 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है। कोर्ट ने गृह सचिव और डीजीपी जेल को कॉस्ट की राशि एक सप्ताह के भीतर जमा करवाने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश तरलोक
सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने कॉस्ट की राशि जमा करवाने के बाद संबंधित अधिकारी से वसूलने के आदेश जारी किए है।
प्रार्थी यशपाल सिंह ने अपनी सेवाओं से जुड़े वित्तीय लाभ लेने के लिए याचिका दाखिल कर रखी है। 13 दिसंबर 2022 को याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। उसके बाद 7 व 9
मार्च को कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिया। लेकिन विभाग ने फिर भी इस मामले में जवाब दाखिल नहीं किया । प्रार्थी के खिलाफ विभाग ने विभागीय कार्रवाई में तीन वर्ष तक वेतन वृद्धि न किए जाने का
जुर्माना लगाया था। याचिका में दलील दी गई है कि विभाग ने बिना सोचे-समझे उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की है। याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया है कि विभाग ने उसके खिलाफ आरोप लगाया है कि प्रार्थी ने चिकित्सा अवकाश के लिए वैध प्रमाण पत्र नहीं दिया है। जबकि प्रार्थी के अनुसार विभाग को वैध प्रमाण पत्र दिया गया है। याचिकाकर्ता के खिलाफ दूसरा आरोप लगाया गया था कि उसने विभाग के आदेशों की अनुपालना नहीं की है। याचिका में दलील दी है कि विभाग ने उसे बिना पदोन्नती के उच्च पद का कार्य सौंप दिया था। जिसके लिए उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई नहीं की जा सकती है। मगर
अभी विभाग ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।