भलेहू और कैहडरू में लहलहाने लगे फलदार पौधे, 54 क्लस्टरों में हो चुका है ड्रोन सर्वे
हमीरपुर 23 फरवरी। अब वह दिन दूर नहीं हैं, जब हिमाचल प्रदेश के छोटे से जिले हमीरपुर में उत्पादित फलों की खुशबू देश की बड़ी मंडियों और छोटे से लेकर बड़े शहरों तक पहुंचेगी। यह संभव होने जा रहा है हिमाचल प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी एचपी शिवा परियोजना से। प्रदेश के सात जिलों के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बागवानी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आरंभ की गई यह परियोजना जिला हमीरपुर में भी एक नई क्रांति का सूत्रपात कर रही है। इस परियोजना के शुरुआती दौर के लिए चयनित गांव भलेहू और कैहडरू के क्लस्टरों में इसकी एक खूबसूरत बानगी देखने को मिल रही है। आज गांव भलेहू में जहां अमरूद के लगभग 21 हजार पौधे लहलहा रहे हैं, वहीं गांव कैहडरू भी संतरे और नींबू प्रजाति के अन्य फलदार पौधों से महक उठा है।
उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. आरएल संधू ने बताया कि हमीरपुर जिला की जलवायु उपोष्ण फलदार पौधों आम, लिची, अमरूद, आंबला और नींबू प्रजाति के फलों के लिए काफी उपयुक्त है। जिला हमीरपुर में एशियन विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित एचपी शिवा परियोजना के अंतर्गत पीआरएफ कलस्टर भलेहू में 38 बागवानों की 10 हैक्टेयर भूमि पर अमरूद के 21 हजार पौधे रोपित किए जा चुके हैं जिन पर अगले वर्ष से फल लगने शुरू हो जाएंगे। उधर, गांव कैहडरू के 54 बागवानों को लाभान्वित करते हुए मौसंबी के 8892 पौधे लगाए गए हैं। योजना के प्रथम चरण में जिला में 900 हैक्टेयर भूमि पर क्लस्टर स्तर पर पौधारोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अभी तक जिला में 65 क्लस्टर चिह्नित कर 843 हैक्टेयर एरिया का चयन किया जा चुका है। टाटा कंसलटिंग इंजीनियरिंग ने 54 क्लस्टर में ड्रोन सर्वे का कार्य पूरा करके लगभग 660 हैक्टेयर एरिया चिह्नित कर दिया है।
उपनिदेशक ने बताया कि उद्यान विभाग द्वारा जिला में बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत भी 27 अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन स्थल विकसित किए गए हैं। इनमें 16 में स्वीट ऑरेंज, 9 में अनार और 2 में अमरूद के पौधों सहित कुल 30121 पौधे रोपित किए गए है। अब इन्हें भी एचपी शिवा परियोजना के क्लस्टरों में परिवर्तित किया जा रहा है।
दरअसल, एचपी शिवा परियोजना यानि उपोष्णकटिबंधीय बागवानी सिंचाई एवं मूल्य संवद्र्धन परियोजना अपने आपमें एक वृहद एवं संपूर्ण परियोजना है। इस परियोजना में बीज से लेकर बाजार तक की एक पूरी शृंखला की संकल्पना के आधार पर बागवानी विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। बागवानी के लिए उपयुक्त भूमि का चयन, उस भूमि का विकास, फलों का चयन, मिट्टी की गुणवत्ता, पानी एवं आधुनिक सिंचाई सुविधाओं की उपलब्धता, कंपोजिट सौर बाड़बंदी, ग्रेडिंग, पैकिंग, कोल्ड स्टोर और प्रसंस्करण जैसे सभी पहलुओं को इस परियोजना में समाहित किया गया है।
किसानों-बागवानों की आय बढ़ाने, युवाओं को खेती-बागवानी के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर सृजित करने तथा हिमाचल के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बागवानी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा आरंभ की गई इस परियोजना में भूमि विकास, पौधारोपण, आधुनिक ड्रिप एवं टपक सिंचाई सुविधा और बाड़बंदी इत्यादि का बिलकुल मुफ्त प्रावधान किया गया है। मौसम की बेरुखी, सिंचाई सुविधा के अभाव और जंगली जानवरों एवं आवारा पशुओं की समस्या के कारण खेती छोड़ चुके किसानों के लिए भी यह परियोजना वरदान साबित हो सकती है।
शुरुआती दौर के अच्छे परिणामों को देखते हुए कहा जा सकता है कि एचपी शिवा परियोजना के कारण जिला हमीरपुर आने वाले समय में फल उत्पादन में भी अपनी एक अलग पहचान बनाएगा और जिला के किसानों-बागवानों की आर्थिकी मजबूत होगी तथा युवाओं के लिए घर में ही बागवानी के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर सृजित होंगे।
फोटो कैप्शन : एचपी शिवा परियोजना के तहत हमीरपुर जिला के गांव भलेहू में विकसित किया गया अमरूद का बागीचा।