बरसात का मौसम शुरु हो गया है और इस दौरान बीमारियां फैलने की काफी संभावनाएं रहती है। ऐसे में खाने-पीने सहित पहनावे में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। हिमाचल में इन दिनों ‘‘स्क्रब टायफस’’ जैसी जानलेवा बीमारी के मामले सामने आ रहे हैं।
आम तौर पर बरसात के मौसम में तेज बुखार से पीड़ित रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। यह बुखार स्क्रब टाईफस से भी हो सकता है। यह रोग एक जीवाणु विशेष (रिकेटशिया) से संक्रमित पिस्सु (माईट) के काटने से फैलता है जो खेतों, झाड़ियों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। यह जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और स्क्रब टायफस बुखार पैदा करता है। कृषि से संबंधित कार्य करने वाले लोगों को स्क्रब टायफस का अधिक जोखिम रहता है। हिमाचल में अधिकतर लोग कृषि पर निर्भर है। यानि कृषि से संबंधित कार्य अधिक लोग करते हैं, ऐसे में स्क्रब टायफस से बचाव की जानकारी सभी को होना आवश्यक है।
‘‘स्क्रब टायफस’’ के लक्षण
– तेज बुखार जो 104 से 105 डिग्री तक जा सकता है
– सिर व जोड़ों में दर्द व कम्पकंपी के साथ बुखार
– शरीर में ऐंठन, अकड़न या शरीर टूटा हुआ लगना
– अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजुओं के नीचे, कूल्हों के ऊपर गिल्टियां होना
‘‘स्क्रब टायफस’’ से बचने के उपाय
कोई भी बीमारी हो उससे बचा जा सकता है, यह तभी संभव होता है जब हम चिकित्सीय सलाह का पालन करते हैं। खैर, हम बात कर रहे हैं ‘‘स्क्रब टायफस’’ से बचने के उपायों के बारे में। इस बीमारी से बचने के लिए खेतों, झाड़ियों एवं घास में काम करते समय पूरा शरीर (खासकर बाजू, पांव एवं टांगें) ढककर रखें। इसके अलावा घर तथा आसपास के वातावरण को साफ रखें। घर के चारों ओर घास, खरपतवार नहीं उगने दें। घर के अंदर और आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें। खेतों में काम से वापस लौटने पर स्नान करें या फिर हाथ व पांव अच्छे से धोएं।
एक नजर इस पर भी
– इस बुखार (स्क्रब टायफस) को लोग जोड़-तोड़ बुखार भी कहते हैं
– यह रोग एक आदमी से दूसरे को नहीं फैलता
– स्क्रब टाईफस का उपचार बहुत आसान है, तुरंत चिकित्सक को दिखाएं
– बुखार कैसा भी हो समीप के स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें