आदित्य का कहना है की पहले मणिकरण जैसे पवित्र स्थल में स्थानीय लोगों के साथ मारपीट हुई, और अब चंबा में ऐसी दर्दनाक हत्या को अंजाम देना सामान्य मानसिकता व परिस्थितियों में रहने वाले लोगों द्वारा असंभव है। इतनी निर्मम हत्या तो शायद कोई आतंकवादी संगठन के लोग ही कर सकते हैं, जो आने वाली नस्लों तक को खत्म करने की मानसिकता और विचारधारा रखते हैं। आदित्य का कहना है कि प्रदेश सरकार को यह मानना चाहिए कि उन्हें जनता की सुरक्षा से कोई मतलब नहीं हैैै। जिस प्रकार से इस हत्याकांड की जांच में ढील भर्ती गई है, ऐसा लगता है कि इस मामले को दबाए जाने की कोशिश की जा रही थी।
आदित्य का कहना है हिमाचल प्रदेश को इस कुकृत्य से यह संदेश जरूर मिला है कि आज सच में जिहादी मानसिकता की विजय हिमाचल में हो रही हैै। उन्होनें हिमाचल की जनता से आह्वान किया है कि जो अज्ञात लोग बाहर से आकर महंगे रेट पर आजकल फलों के बगीचों को ठेकों पर लेते हैंं, उन्हें अपने बगीचे देने से पहले सौ बार सोचे कि वह हवाला का पैसा है या कहीं और का। और ऐसे लोगों के साथ व्यापार करके हम अपनी ही देवभूमि को खतरे में डाल रहे हैं। वहींं कुछ अज्ञात लोग बाहर से आकर दुकानें महंगे दाम पर किराए पर लेते हैंं, ऐसे लोगों से भी हमें सावधान रहना चाहिए। आदित्य ने सत्तासीन सरकार से अनुरोध किया है कि जो संदिग्ध व्यक्ति बाहर से आ रहे हैं उन पर कड़ी नजर रखनी चाहिए कि उनकी क्या गतिविधियां हैं और उनके पास इतना पैसा कहां से आ रहा है और वह इस पैसे का उपयोग कहां कर रहे हैं।