Sunday, May 19, 2024
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पुलिस भर्ती फर्जीवाड़े से भी सबक नहीं ले पाई हिमाचल प्रदेश सरकार


शिमला प्रदेश में अब एचआरटीसी बस कंडक्टर भर्ती में ऑनलाइन नकल का मामला सामने आया है। इससे पूर्व प्रदेश में आयोजित पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा में सॉल्वर द्वारा अपना फोटो किसी दूसरे व्यक्ति के एडमिट कार्ड पर लगाकर परीक्षा देने का मामला सामने आ चुका है। इस बहुचर्चित मामले में बाहरी राज्यों के सॉल्वर को कांगड़ा पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जबकि प्रदेश में पूर्व में आयोजित विभिन्न परीक्षाओं के दौरान भी ब्लूटूथ के माध्यम से ऑनलाइन नकल के मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन ऐसे मामलों से सख्ती से निपटने के अभी तक कोई प्रयास नहीं हुए हैं। पुलिस भर्ती परीक्षा फर्जीवाड़े के बाद हाई पावर कमेटी ने प्रदेश सरकार को छंटनी परीक्षाओं के दौरान मोबाइल जैमर का प्रस्ताव भेजा था। परीक्षा केंद्रों में मोबाइल जैमर लगाने और उन्हें हाईटेक बनाने पर करीब 3 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन पुलिस भर्ती परीक्षा का मामला शांत होने के बाद प्रदेश सरकार ने भी मोबाइल जैमर लगाने के प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अगर प्रदेश के सभी परीक्षा केंद्रों में मोबाइल जैमर लग जाएं तो ऑनलाइन नकल के मामले पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है। आगामी दिनों में भी हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग विभिन्न पोस्टकोड की भर्ती परीक्षाओं का आयोजन करने जा रहा है। बिना मोबाइल जैमर भर्ती परीक्षाओं में नकल रोकना चयन आयोग के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। हालांकि, कर्मचारी चयन आयोग में साक्षात्कार प्रक्रिया समाप्त होने के बावजूद आयोग के सदस्यों पर प्रदेश सरकार हर महीने वेतन के रूप में लाखों रुपये बहा रही है। उधर कर्मचारी चयन आयोग के सचिव डॉ. जितेंद्र कुमार ने बताया कि पुलिस भर्ती परीक्षा के दौरान सामने आए फर्जीवाड़े के बाद आयोजित बैठक में आगामी भर्ती परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए मोबाइल जैमर लगाने पर विचार विमर्श हुआ था। इस योजना पर करीब 3 करोड़ से अधिक का खर्च अनुमानित है। उन्होंने कहा कि अगर परीक्षा केंद्रों में मोबाइल जैमर लग जाएं तो ऑनलाइन नकल के मामलों पर अंकुश लगाया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन ब्रिगेडियर सतीश शर्मा ने बताया कि शिमला और सोलन में एचआरटीसी भर्ती परीक्षा के दौरान मोबाइल फोन परीक्षा केंद्र के भीतर ले जाने के मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि आयोग के पास अधिकार है कि संगीन मामलों में अभ्यर्थी को 3 वर्ष के लिए भविष्य में होने वाली भर्ती परीक्षा से निष्कासित किया जा सकता है।

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