कुल्लू : जिस तरह से आज प्रदेश की वित्तीय स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, उसे ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाना बेहद आवश्यक है। जिसके प्रदेश की वित्तीय स्थिति काफ़ी हद तक सुधारी जा सकती है। यह कहना है जिला कुल्लू के रहने वाले पंडित मोतीराम का। गौरतलब है कि पण्डित मोती राम उपायुक्त कार्यालय में बतौर सुपरिटेंडेंट अपनी सेवाएं देते हुए 2001 में सेवा निवृत हुए हैं।
विषय पर अपने विचार रखते हुए उनका कहना है कि हिमाचल प्रदेश सरकार की वित्तीय स्थिति बिगड़ रही है, वित्तीय स्थिरता लाने के लिए सरकार कोई भी कर लगाने का साहस नहीं करेगी।
इसलिए सरकार को निम्नलिखित बिंदुओं पर साहसिक निर्णय लेना चाहिए। सबसे पहले किसी भी मंत्री, राज्य एवं जिला स्तरीय अधिकारियों (मुख्यमंत्री, उपायुक्त, उप जिलाधिकारी और पुलिस) को उनके कर्तव्यों की प्रकृति और चरित्र को ध्यान में रखते हुए कोई भी सरकारी वाहन उपलब्ध नहीं कराया जाना चाहिए। अन्य मंत्रियों और राज्य स्तरीय अधिकारियों को बस से यात्रा करनी चाहिए और आपातकालीन मामलों में उन्हें ई-टैक्सी किराए पर लेनी चाहिए, जिसके लिए उन्हें केवल ई-टैक्सी और बस किराया शुल्क ही देना होगा। यह व्यवस्था तहसील सर्वर पर उपलब्ध है। उपरोक्त श्रेणियों को यात्रा भत्ता और दैनिक भत्ता नहीं दिया जाएगा क्योंकि इन अधिकारियों के दौरे के दौरान रहने-खाने की पूरी सुविधा संबंधित विभाग द्वारा प्रदान की जाती है।
दूसरा, विधायक को कोई पेंशन लाभ नहीं दिया जाना चाहिए, जब तक कि वह दो बार निर्वाचित न हो। और सभी सरकारी कर्मचारीयों को बराबर महंगाई भत्ता दिया जाना चाहिए।
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