कुर्सी बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी ने देश में आपातकाल लगाकर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत हमारे कई सारे नेताओं ने उस समय निरंकुश शासन के खिलाफ लोगों को लामबंद किया
हिमाचल में हम कांग्रेस को निरंकुश होने नहीं देंगे, करेंगे हर ग़लत फैसलों का विरोध करेंगे
सरकार के पास विधायकों को सीपीएस बनाकर सुविधाएं देने के लिए पैसे हैं लेकिन 80 लोकतंत्र प्रहरियों को पेंशन देने के लिए नहीं
आज भी ताज़ा हैं आपातकाल के ज़ख़्म, जब नेताओं को बोलने और अख़बारों को लिखने की आज़ादी नहीं थी
देश ने कांग्रेस के शासन काल में ऐसा दौर भी देखा जब आवाज़ उठाने पर भी पाबंदी थी
जो आज लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों को रौंद डाला था
कसुम्पटी में बोले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर
शिमला : नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि आज के दिन अपनी कुर्सी बचाने के लिए देश को आपातकाल की तानाशाही मेंझोंक दिया था। कुर्सी बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान द्वारा दी गई शक्तियों का दुरुपयोग अपने राजनैतिकविरोधियों के दमन के लिए किया। जिसने भी देश के हक़ में आवाज़ उठाई उसे सीधे जेल की काल कोठरी में झोंक दिया। लगभग दोसाल तक अकारण ही यातना दी गई। उन्होंने कहा कि 1975 में 25 जून एक ऐसी काली रात थी जिसे कोई भारतवासी नहीं भुलासकता। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने हाथ से सत्ता जाते देख पूरे देश पर इमर्जेंसी थोप दी थी। ऐसा उदाहरण पूरी दुनियामें कहीं देखने को नहीं मिलता कि किसी लोकतांत्रिक देश में एक परिवार ने सत्ता के लिए रातों रात पूरे देश को को जेल में बदल दियाहो। उन्होंने कहा कि उस दौर में लोकतंत्र के समर्थकों पर इतना अत्याचार किया गया था कि आज भी मन कांप उठता है। लेकिन देश की जनता ने लोकतंत्र को कुचलने की तमाम साजिशों का करारा जवाब दिया। सिर्फ़ कांग्रेस पार्टी को ही सत्ता से नहीं उखाड़ फेंका बल्कि कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता इंदिरा गांधी को भी धूल चटा दिया। वे कसुम्पटी में आपातकाल 48 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बोल रहे थे। इस अवसर पर पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज, जिलाध्यक्ष विजय परमार, महामंत्री अंजना शर्मा, मण्डल अध्यक्ष राजेश शारदा, जितेंदर भोटका समेत सभी पार्षद व पूर्व पार्षद उपस्थित रहे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि देश के सभी प्रमुख नेताओं को, राजनैतिक कार्यकर्ताओं को, बुद्धिजीवियों को जेल में रखकर अमानवीययातनाएं दी गई। और तो और, न्याय व्यवस्था भी आपातकाल के भयावह रूप से बच नहीं पाई थी। नेता प्रतिपक्ष ने कहा जिस समयविपक्षी राजनैतिक विचारधारा का पाशविकता के साथ दमन हो रहा था उस समय हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत अन्य नेता लामबंद हुए। लोकतंत्र की इस लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जो भी महत्वपूर्ण और कठिन कार्य उन्हें दिये गये, उसे बखूबी पूरा किया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हिमाचल में भी यही देखने को मिल रहा है। लेकिन हम, इन्हें निरंकुश होने नहीं देंगे। इनके गलत फैसलों काविरोध करेंगे। हिमाचल और हिमाचलवासियों के हितों के लिए किसी भी हद तक संघर्ष करेंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारा देश भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। लेकिन 48 साल पहले इसलोकतंत्र को बंधक बनाने और लोगों के अधिकारों को कुचलने का प्रयास हुआ था।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह वह दौर था, जब संविधान के चौथे स्तम्भ पर भी पहरा लगा दिया गया। मीडिया की आवाज़ भी दबा दी गईथी। अख़बारों पर पहरा लगा दिया। आपातकाल ख़त्म होने के बाद जेल से बाहर आये नेताओं ने जेल में मिली यातना की कहानियां आज भी झकझोर देती हैं। कोई सोच भी नहीं सकता था कि किसी लोकतांत्रिक देश में इस तरह की तानाशाही हो सकती है। उस समय लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया, यातनाएं झेलीं, उन सबको मेरा शत-शत नमन है। उनके त्याग और बलिदान कोदेश कभी नहीं भूल पाएगा।
लोकतंत्र की लड़ाई लड़ने वालों को हमने दिया सम्मान, कांग्रेस ने अपमान
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हमने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि शुरू की थी ताकि हिमाचल प्रदेश के जो महान लोगआपातकाल में जेल गए, हम उनके लिए कुछ कर सकें। मगर नया दौर और व्यवस्था परिवर्तन लाने का ढिंढोरा पीटने वाली कांग्रेस कीसरकार ने सत्ता मे आते ही यह राशि बंद करने की मुहिम छेड़ दी। इस बंद करने के लिए कांग्रेस ने विधानसभा में विधेयक लाया। हमारेविरोध के बाद भी कांग्रेस ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि सुक्खुर सरकार के पास पहले से वेतन ले रहे विधायकों को सीपीएस बनाकर सुविधाएं देने के लिए पैसे हैं लेकिन 80 लोकतंत्र प्रहरियों को पेंशन देने के लिए पैसे नहीं हैं। पूरे प्रदेश में नया दौर और व्यवस्था परिवर्तन के होर्डिंग लगाने के पैसे हैं मगर बुजुर्ग हो चुके सम्मानित नागरिकों की आर्थिक सहायता केलिए पैसे नहीं हैं।