आदेश में फैक्टर 2 के तहत चार गुना मुआवजा देने की बात
मांगों को लेकर समिति मिलेगी प्रदेश मुख्यमंत्री से
रेणुका गौतम, कुल्लू : फोर लेन संघर्ष स्मिति भू अधिग्रहण कानून 2013 को लेकर लिए गए प्रदेश के उच्च न्यायालय द्वारा फैसले को लेकर काफी प्रसन्न नजर आ रही है। फैसले में फोरलेन मुआवजे को लेकर 2015 की अधिसूचना रद्द की गई है। इसी बात को लेकर फोरलेन संघर्ष समिति कुल्लू द्वारा जिला मुख्यालय में एक पत्रकार वार्ता आयोजित की गई। जिसमें संस्था के अध्यक्ष दिनेश सेन ने प्रदेश सरकार से शीघ्रातीशीघ्र प्रदेश के उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का अनुसरण करते हुए फोर लेन के लिए भूमि देने वालों को चार गुना मुआवजा देने की बात की। इस मांग को लेकर समिति शीघ्राई प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलने जा रही है।
फॉरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सेन ने वार्ता के दौरान कहा कि यह अति हर्ष का विषय है कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार ही 22 मई 2025 को हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय द्वारा फैसला लिया गया है। जिसमें फैक्टर 2 के तहत ही कुल्लू से मनाली तक बनाए गए फोरलेन हेतू ली गई भूमि के मालिकों को मार्केट रेट का चार गुना मुआवजा शीघ्र दिए जाने का आदेश दिया गया है। दिनेश सेन का कहना है कि क्योंकि फोरलेन प्रोजेक्ट केंद्र सरकार का है तो ऐसे में मुआवजा देने की बात जब आती है तो इसमें प्रदेश सरकार की माली हालत जैसी बातें आड़े नहीं आ सकती।
साथ ही उन्होंने तंज कसते हुए यह भी कहा कि बात जब मंत्रियों और विधायकों के वेतन वृद्धि की होती है तो सभी पार्टियों के नेता सुर में सुर मिलाकर निर्विरोध अपनी तनख्वाह और भत्ते बढ़ाने में देर नहीं करते। ऐसे में सरकार की माली हालत जैसी बातें भी सामने नहीं आती, लेकिन बात जब जनता को मुआवजा देने की हो तो कई तरह की निराधार दलीलें दी जाती है। फोरलेन संघर्ष समिति कल्लू के अध्यक्ष दिनेश सेन का कहना है कि वह शीघ्र ही एक प्रतिनिधि मंडल के साथ जाकर प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखबिंदर सिंह सुक्खू से मिलेंगे और शीघ्र कोर्ट के आदेश अनुसार जनता को मुआवजा शीघ्र देने की बात मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे।
इस मौके पर फोरलेन संघर्ष समिति के सचिव देवेंद्र नेगी ने कहा कि जनता का पैसा शीघ्र ही समय रहते मिल जाए तो उचित है। लेकिन यदि प्रदेश के उच्च न्यायालय द्वारा पारित फैसला जो जनता के हित में है यदि सरकार द्वारा उसे भी अनसुना किया जाता है, जनहित के लिए उच्चतम न्यायालय जाने से भी गुरेज़ नहीं किया जाएगा।