Saturday, December 21, 2024
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बॉस फार्मा उद्योग को क्लीन चिट मिलने के बाद, ग्रामीण कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को मजबूर


पंकज गोल्डी

ग्रामीणों ने पूरे घटनाक्रम पर उद्योग व संबंधित विभागों को न्यायालय के कटघरे में खड़ा करने का मन बनाया…. 
उद्योग के मालिक द्वारा कुछ मीडिया कर्मी व स्थानीय लोगों पर झूठे आरोप लगाए गए..

औद्योगिक प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाने वालों को कैसे उद्यमी निशाना बनाते हैं इस एक ताजा उदाहरण झाड़माजरी कैमिकल लीकेज मामले में सामने आया है। वहीं कैसे संबंधित विभागों द्वारा ग्रामीणों की आवाज को अनसुनी कर गंभीर मामलों में भी उद्यमियों को क्लीन चिट दे दी जाती है यह भी देखने को मिला है। आखिर कब तक प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दों को जनता की आवाज को दबाया जाएगा, आखिर कब तक संबंधित विभागों द्वारा अपनी खाल बचाने के लिए इन मामलों में लीपापोती की जाएगी यह एक बड़ा सवाल है। 
मामला 7 जून की रात का है, जब झाड़माजरी स्थित बॉस फार्मा उद्योग द्वारा कैमिकल हवा में छोड़ा गया। जैसे ही इस कैमिकल की चपेट में आने से लोगों में अफरातरफी मची तो स्थानीय लोग मीडिया कर्मी के साथ उद्योग में पहुंचे और उद्योग में चल रही मशीन को बंद करवाय गया। जिसके बाद प्रदूषण विभाग और ड्रग विभाग समेत पुलिस को जानकारी दी गई। मौके पहुंची ड्रग व प्रदूषण विभाग की टीम ने कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की और न ही मामले को गंभीरता से लिया। जिसके बाद इस मामले की जांच बिठा दी गई। जांच में संबंधित विभागों ने उद्योग को क्लीन चिट दे दी। जिसके बाद उद्योग के मालिक ने प्रेस कांफ्रेंस करके मीडिया कर्मी व स्थानीय लोगों पर झूठे आरोप जड़ दिए। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि उनकी उद्योग के साथ कोई दुश्मनी नहीं है, अगर हादसा हुआ तो ही लोगों ने आवाज उठाई।
अब ग्रामीणों ने पूरे घटनाक्रम पर उद्योग व संबंधित विभागों को न्यायालय के कटघरे में खड़ा करने का मन बनाया है। 

क्या बनता है उद्योग में
जिस समय यह हादसा पेश आया तो उद्योग में पैरासीटामोल का रॉ मैटिरियल पैरा बन रहा था। पैरा बनाने के लिए उसमें बेस मैटीरियल एनिलिन प्रयोग होता है। जो इतना खतरनाक कैमिकल है कि इसके हीट होने से आंखों में जलन, सांस की परेशानी समेत कई गंभीर बीमारियां लगती हैं। उद्योग में एनिलिन के ड्रम की रात को मौके पर पाए गए जिसकी फोटो और वीडियो ग्रामीणों के पास हैं। जिन्हें वह कोर्ट में पेश करेंगे। इस सारे घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या संबंधित विभाग किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं। क्या पैरा बनाने के लिए उद्योग के अंदर रखे एनिलिन कैमिकल का प्रयोग नहीं किया गया। बता दें कि एनिलिनि के बिना पैरा बन ही नहीं सकता, फिर कैसे संबंधित विभागों को उद्योग को क्लीन चिट दे दी। उधर क्लीन चिट के बाद उद्यमी ने पत्रकार व स्थानीय लोगों को झूठे आरोप जड़े हैं जिनका कोई सबूत उद्यमी के पास नहीं है। जबकि पीडि़त ग्रामीणों ने साफ कहा है कि वह अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

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