शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज की अध्यक्षता में आज यहां स्वर्णिम हिमाचल प्रदेश दृष्टि पत्र-2017 के कार्यान्वयन के लिए गठित मंत्रिमंडल की उप-समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसमें वन विभाग से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि वन हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक धरोहर है, जिसके सरंक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। प्रदेश में विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं, जिन्हें केवल स्थानीय हितधारकों द्वारा आय के लिए उपयोग किया जाता है।
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि इस वर्ष स्थानीय लोगों व अन्य संस्थाओं के सहयोग से चलाये गए पौधरोपण अभियान के अंतर्गत प्रदेश में 26,47,146 पौधे रोपित किए गए, जिसकी निगरानी की जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा आरंभ की गई विद्यार्थी वन मित्र योजना के अंतर्गत भी पौधरोपण किया जा रहा है। राज्य में सामुदायिक वन संवर्धन योजना के अंतर्गत वनों को रोज़गार से जोड़ने और पौधारोपण का कार्य किया जा रहा है।
उप-समिति के सदस्य एवं वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में ‘वन समृद्धि, जन समृद्धि योजना’ के तहत जड़ी-बूटियों को लगाने को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। वर्तमान में यह योजना छः ज़िलों के दस वन मंडलों में लागू की जा रही है। इको-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा चांशल, जंजैहली और बीड़-बिलिंग के लिए क्रमशः आठ करोड़, पांच करोड़ तथा पांच करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिससे ट्रैकिंग के रास्तों, वन विश्राम ग्रहों, जन सुविधाओं व वन चैकियों का सुधार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा मनाली व नाचन के लिए क्रमशः तीन करोड़ तथा तीन करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिससे प्राकृतिक उद्यानों व पैदल रास्तों का विकास किया जाएगा। प्रदेश में 22 इको-पार्क विकसित किए गए हैं। वनों में भू-जल के गिरते स्तर को रोकने के लिए राज्य योजना एवं जल संरक्षण, राज्य कैम्पा तथा बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं के अंतर्गत चैक डैम व कच्चे तलाबों का निमार्ण किया जा रहा है।
बैठक के दौरान उप-समिति के सदस्य एवं उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव वन संजय गुप्ता, प्रधान सचिव परिवहन के.के. पंत, प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन अजय कुमार, उप-समिति के सदस्य सचिव एवं सचिव सामान्य प्रशासन देवेश कुमार तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
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