रेणुका गौतम, कुल्लू : “पूर्व सरकार ने मनरेगा मजदूरों की सुविधाओं का पैसा गटक कर उसे प्रचार-प्रसार में लगाया है। यही नहीं चुनावों के दौरान सरकार पैसा खर्च करती रही और चुनाव होने के बाद श्रमिक कल्याण बोर्ड के सेक्रेटरी ने 12 दिसंबर 2022 को मजदूरों की सुविधाएं बंद करने की नोटिफिकेशन जारी की, ” यह बात हिमाचल प्रदेश मनरेगा एवं निर्माण सर्व कामगार संगठन के प्रदेशाध्यक्ष संत राम ने कुल्लू में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही।
इससे पहले वह मंत्री एवं श्रमिक बोर्ड के चेयरमैन धनीराम शांडिल से मिले और उन्हें श्रमिक बोर्ड में चल रही धांधलियों को लेकर बताया। पत्रकार वार्ता के दौरान संतराम ने श्रमिक कल्याण बोर्ड के सेक्रेटरी पर हमला किया। उन्होंने कहा कि सेक्रेटरी ने पूर्व सरकार को खुश करने के लिए बोर्ड का तकरीबन पांच करोड़ रुपए प्रचार प्रसार में लगा दिए, जबकि यह पैसा असल में श्रमिकों की सुविधाओं में खर्च का होना था। इतना ही नहीं सेक्रेटरी ने सरकार को बिना विश्वास में लिए ही श्रमिकों को मिलने वाली सुविधाओं को बंद करने का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया।
संत राम ने कहा कि श्रमिक कानून 1996 में बना और 2013-14 में मनरेगा मजदूरों को भी इसमें जोड़ा गया है। तीन लाख मनरेगा मजदूर श्रमिक कल्याण बोर्ड से जुड़े हैं। श्रमिक बोर्ड से जुड़े मजदूरों को विभिन्न सुविधाएं मिलती है, जिसमें महिला प्रसूता होने पर 25 हजार, बच्चों की शादी, बच्चों को पढ़ाई के लिए छात्रवृति सहित अन्य कई सुविधाएं मिलती है, जिन्हें सेक्रेटरी बोर्ड ने बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि धनीराम शांडिल ने उन्हें इस विषय पर ध्यान देने का आश्वासन दिया है। श्रमिकों को मिलने वाली सुविधाओं के बहाल न होने की स्थिति में संतराम ने प्रदेश भर में व्यापक स्तर पर हस्ताक्षर अभियान और आंदोलन किए जाने की भी बात कही।
जिला मुख्यालय कुल्लू में आयोजित इस पत्रकार वार्ता के दौरान उनके साथ संगठन के प्रदेश महामंत्री जीत राठौर, कोषाध्यक्ष शोभा राम भारद्वाज, भावना शर्मा बंजार प्रभारी व मेघ सिंह पालसरा बलीचौकी ब्लॉक अध्यक्ष भी मौजूद रहे।