Sunday, December 22, 2024
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जलविद्युत् परियोजनाओं में विस्थापित लोगों के हितों क़ी रक्षा के लिए सरकार उठाये कड़े कदम : राकेश जमवाल

विधानसभा बजट सत्र के दौरान जलविद्युत परियोजनाओं में प्रदेश की हिस्सेदारी की अनुपालना न होने व लाभअंश में प्रदेश की हिस्सेदारी की अनुपालना न होने पर सरकार के ध्यानार्थ विपिन सिंह परमार द्वारा लाये संकल्प पर सुन्दरनगर विधानसभा के विषय को सदन में रखते हुई विधायक राकेश जमवाल ने कहा कि हमारे विधानसभा क्षेत्र में दो पन विद्युत परियोजनाएं BSL प्रोजेक्ट व कोल डैम परियोजना चलती है. हिमाचल सरकार ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटकाया था परन्तु पक्ष में निर्णय आने के बावजूद प्रदेश का 4250करोड़ ₹ आज तक प्रदेश सरकार को नही मिला है।
उन्होंने कहा इन परियोजनाओं के बनने से मेरे क्षेत्र के लोगों को विस्थापन का दंश सहना पड़ा लोगों की उपजाऊ ज़मीन चली गई व गावं के गावं उजड़ गए पानी के स्थायी स्त्रोत सूख गए.उसके बावजूद हमारे लोगों को विस्थापन के बदले क्या मिला।bsl जो यह प्रोजेक्ट है जो bbmb द्वारा बनाया गया है इसमें पानी टनल के द्वारा पंडोह से सलापड़ से सतलुज में गिरता है।
यह प्रोजेक्ट 990 मेगावाट का है व हजारों की संख्या में यहाँ लोग कार्य कर रहे थे जिस कारण यहाँ दो कालोनी बसाई गई.
एक सुंदर नगर में सलापड़ में परन्तु जब यह प्रोजेक्ट चल पड़ा तो कर्मचारीयों की संख्या यहाँ कम होती गई. कालोनी खाली होती गई. प्लानिंग की मीटिंग में भी मुख्यमंत्री से आग्रह किया था कि जहाँ जहाँ bbmb के प्रोजेक्ट या इस तरह क़ी विद्युत् परियोजनाएं हैं चाहे वह प्रदेश का कोई भी क्षेत्र हो वहां के जनप्रतिनिधि को व bbmb के प्रतिनिधियों को भी बुलाया जाये सरकार के प्रतिनिधि को भी बुलाया जाये ताकि वहां हम अपने मुद्दों को रख सकें । क्यूंकि काफ़ी समय से उन प्रोजेक्ट्स पर जो सडक मार्ग है उन पर वे लोग भी व स्थानीय लोगों के साथ बस सुविधा भी उन्ही सड़कों से चलती है परन्तु व्यवस्था के अभाव में उन सड़को में 4-4वर्षो से उसकी मुरमत का कार्य bbmb नही कर रही थी जिससे उन 2-2फुट के सड़को में गढ़े हो गए थे.
ज़ब हमनें इन विषय को उठाया तो तब उन्होंने उस बात मान कर उन सड़को को ठीक करने का प्रयास किया.
सुन्दरनगर में जो शेड उन कर्मचारियों के लिए बने थे उसमें जंगली जानवर उसमें हैं जिस से स्थानीय जनता में दहशत का माहौल है. वो कलोनीयां जो उजड़ चुकी है उन्हें कैसे वापिस लिया उस ज़मीन का स्थानीय जनता को किस प्रकार लाभ प्राप्त हो सके यह विचार योग्य विषय है.

उस जमीन को कैसे वापस लें कुछ प्रयास भी उसमें हुआ हमारी एनडीआरएफ की बटालियन मंडी जिला में आई बल्ह में आई लेकिन वहां जमीन पर एफसीए का केस चल रहा था उसमें समय लगना था परंतु मेरे आग्रह से मेरे विधानसभा क्षेत्र में बीबीएमबी का क्षेत्र जो सलापड़ में है उसमें कुछ स्ट्रक्चर इस प्रकार के बने थे जिसमें कम बजट में सुधार कर एनडीआरएफ की बटालियन को शिफ्ट कर सकते हैं। 6 करोड वहां सरकार ने खर्च किया अब टेंपरेरी हेड क्वार्टर बन गया जल्दी ही वहां बटालियन शिफ्ट हो जाएगी।

सुंदरनगर में यह ज़मीन म्युनिसिपल की है और वहां बहुत अच्छा संस्थान खुल सकता है इसलिए उस जमीन को वापस लेने के लिए भी सरकार को प्रयास करने चाहिए।बीबीएमबी के 2 सीबीएसई स्कूल भी मेरे विधानसभा क्षेत्र में चल रहे हैं परंतु अब वे उसे बंद करना चाह रहे हैं हमारे लोगों ने जमीन दी विस्थापन सहा लेकिन वहां जो स्कूल चल रहे हैं वहां बीबीएमबी के कर्मचारियों के साथ-साथ हमारे स्थानीय बच्चे भी पढ़ रहे हैं जहां पर सस्ती शिक्षा लोगों को घर द्वार पर मिल रही है।पिछले दिनों सरकार ने कहा इन स्कूलों को वापस ले लेंगे व स्टाफ को भीउठा लिया जाएगा। इस विषय को राजनीतिक बदला बदली से व बदले की भावना से इन संस्थानों को ना देखें क्योंकि यहां पिछली सरकार में ही नहीं उससे पिछली सरकार से अन्य सरकारों में भी स्टाफ रहा है। आज बीबीएमबी भी इन स्कूलों को बंद करना चाहती है पिछले दिनों प्रपोजल लाया था कि 2 स्कूलों को मर्ज कर एक किया जाए जबकि वहां दोनों स्कूलों में छात्र संख्या 1600 से अधिक है दोनों स्कूल चले तो स्थानीय लोगों को लाभ होगा.

साथ ही सुंदर नगर में बने जलाशय में सुंदर झील बनी है परंतु वहां पर गंदगी का माहौल बना हुआ है वहां सौंदर्यकरण के लिए बजट की आवश्यकता है कार्य करवाने की आवश्यकता है परंतु बीबीएमबी की कार्यशैली सही ना होने के कारण इनकी टेंडर प्रक्रिया को जल्द पूरा करने का प्रयास नहीं करती है जिसमें सरकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता है मैंने पहले भी कहा कि टेंडर प्रक्रिया को जल्द करवाने के लिए या तो हिमाचल सरकार की एजेंसी या हिमाचल सरकार को यह कार्य करने के लिए दे दिया जाए जिससे कि बीबीएमबी वाले अपनी मनमर्जी ना कर सके
दूसरा प्रोजेक्ट कोल डैम बनने से वहां के लोगों को अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ता है।जहां लोग वहां विस्थापित हुए वहीं उन लोगों के मोक्ष धाम थे जो डूब गए जिसके लिए एनटीपीसी ने कोई काम नहीं किया धन्यारा में एक पुल जलभराव के कारण डूब गया टूट गया लेकिन आज तक उस पुल का निर्माण नहीं हो पाया बड़ा देव जो कि एक धार्मिक आस्था का स्थान है वहां जाने के लिए एकमात्र यह रास्ता था। इसलिए मैं चाहूंगा कि सरकार इस को बनाने के लिए भी शीघ्र निर्देश एनडीपीसी को जारी करें।

हमारी विधानसभा क्षेत्र के कुछ इलाके ऐसे है जिसमें सडक मार्ग के बजाए जलमार्ग सस्ता साधन हैं. वैसे तो हमारी विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए है वहां पर बोट की सुविधा तो दी गई है परंतु जेटी नहीं बनी है जिस कारण से वह जोखिम पूर्ण है इसलिए मेरा आग्रह है कि एनटीपीसी को निर्देश दिए जाए कि वहां 2-3 जैटी का निर्माण किया जाए जिससे कि वह सफर जोखिम पूर्ण ना रहे और लोगों को आने-जाने के लिए सुविधा हो सके क्योंकि जल मार्ग से जहां हमारे क्षेत्रों में जाने के लिए जहाँ सड़क मार्ग से 4 घंटे का समय लगता है वहां जल मार्ग से 1 घंटे के समय में यह सफर तय हो जाता है

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