देव पूजा के बाद दो दिवसिय सरनाहुली मेले का विधिवत समापन
मृगेंद्र पाल
गोहर (मंडी) : अधिष्ठाता देव कमरूनाग का सरनाहुली मेला परंपरागत देव पूजा के साथ संपन हो गया। समापन अवसर पर लगभग 30 हजार श्रद्धालूओं ने अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई।
मेले में पहले दिन की अपेक्षा दूसरे दिन दोगुनी संख्या में श्रद्धालू देव कमरूनाग के दर्शन करने व मेला देखने आए। लोगों ने कमरूनाग की पवित्र झील की परिक्रमा की तथा झील में सोना, चांदी और सिक्के व नकदी ईच्छानुसार विसर्जित किए। मंदिर कमेटी के मुताबिक दो दिनों में 50 हजार से अधिक श्रद्धालूओं ने कमरूनाग के मंदिर में आकर शीश नवाया। इसमें मंडी ही नही प्रदेश के बाकी जिलों से भक्तगण कमरूनाग के दरबार पहुंचे, जिस कारण मंदिर परिसर में पांव रखने तक की जगह नहीं बची।
श्रद्धालूओं को कमरूनाग की मूर्ति के दर्शन करने के लिए कतारों में खड़े होकर लंबा इंतजार करना पड़ा। भीड़ को शांत व अनुशासन बनाए रखने के लिए पुलिस दल को कड़ी मशक्त करनी पड़ी। अथाह आस्था का सैलाब उमड़ने के कारण मंदिर परिसर देव कमरूनाग के जयकारों से गूंज उठा। आषाढ़ संक्रांती की प्रथम तिथी (साजा) का दिन होने से श्रद्धालू देव दर्शन पाकर भक्तिबिभोर हो गए। दिन भर मेला परिसर में खूब चहलपहल रही इस बीच किसी प्रकार की अप्रिय घटना सामने नही आई।
प्रशासन की ओर तहसीलदार सहित कई अधिकारी व कर्मचारी बकरों की बलि की घटना को लेकर सर्तक रहे और मेला परिसर में पल-पल निगरानी करते रहे। मेला कमेटी के और कांढी-कमरूनाग पंचायत के प्रधान मान सिंह ने बताया कि मेले में सैंकड़ों की संख्या में बच्चों के मुंडन किए गए तथा देवता के दर्शन करने के बाद पवित्र झील में श्रद्धानुसार आभूषण व नकदी का विसर्जन किया।
गूर लीलमणी ने बताया कि मेला में लोगों ने भारी तादात में हाजरी भरी। देवता के दर्शन किए तथा लोगों ने देवता प्रश्न उतर भी किए, जिसके जबाव देव कमरूनाग ने दिए। मेला कमेटी के प्रधान मान सिंह ने दो दिनों में 50 से 60 हजार से अधिक लोगों का देव परिसर मे आने का दावा किया तथा कहा कि मेला समापन होने के बाद भी सैंकड़ों लोग देवता के दर्शन के लिए आने की संभावनाएं है।
मेला अधिकारी तहसीलदार गोहर अमित कुमार शर्मा ने बताया कि कमरूनाग का दो दिवसिय मेला शांति व सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन हो गया। मेले में हजारों लोगों ने देव कमरूनाग के दर्शन किए। मेले सरक्षा की जिम्मेवारी देख रहे थाना प्रभारी मनोज वालिया ने बताया कि मेले में किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना सामने नही आई। पुलिस ने यातायात को बहाल करने व मेला में अनुशासन में अहम भूमिका निभाई।
झील का पानी से नहीं लगती प्यास, बोतलें भर घरों को ले गए श्रद्धालू
कमरुनाग की पवित्र झील के पानी से श्रद्धालुओं ने प्यास बुझाई। झील का पानी पीने से पैदल चलने वालों को प्यास नहीं लगती। झील के पानी को शुद्ध माना जाता है। मान्यता है कि जब पांडवों को प्यास लगी थी तो महाबली भीम ने अपने हाथ से जमीन पर वार कर पानी निकाल लिया था और उस जगह पर झील बन गई। इसलिए लोग पानी पीते है और घरों को भी ले जाते हैं। लोगों का मानना है कि जब भी पानी की किल्लत होती है तो कमरुनाग से प्रार्थना की जाती है और वह बारिश दे देतें है। इसीलिए देव कमरुनाग को बारिश का देवता कहा जाता है।