पवन ठाकुर
ऊना: सरकार द्वारा अस्पतालों के बाहर जन औषधि केंद्र तो खोल दिए गए हैं लेकिन इन जन औषधि केंद्रों पर मरीजों को ऐसी कोई सुविधा नहीं मिल रही।
मरीज अब भी महंगी दवाइयां खरीदने से रोजाना लुट रहे हैं।
अस्पताल के बाहर जन औषधि केंद्र इसलिए खोले गए हैं कि ताकि मरीजों को जेनेरिक दवाइयां सस्ते दामों पर उपलब्ध हो सकें।
सरकार ने दावा किया था कि जो दवाई ब्रैंड नेम की ₹500 की मिलती है वहां पर वही दवाई ₹50 की उपलब्ध होगी।
लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से बाहरी दुकानों को फायदा देने के लिए मरीजों को यह सुविधा नहीं मिल पा रही है। या यह भी कह सकते हैं कि शायद जन औषधि केंद्र द्वारा यह सस्ती दवाइयां मरीजों को दी ही नहीं जाती तथा उन्हें अपने फायदे के लिए शायद बाहर ही बेच दिया जाता हो।
चिकित्सकों द्वारा जेनेरक दवाइयां लिखने के बावजूद भी मरीजों को ना चाहते हुए भी महंगे दामों पर प्राइवेट दुकानों से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं।
क्या कहना है इस बारे में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा (ट्रस्ट) के प्रदेशाध्यक्ष विनय राणा का…
सरकारी अस्पताल में मरीजों को चिकित्सक द्वारा सस्ती जेनेरिक दवाएं लिखी तो जाती है लेकिन वह दवाइयां जन औषधि केंद्र पर उपलब्ध ही नहीं हैं और ना चाहते हुए भी उन्हें यह दवाई प्राइवेट दुकानों से महंगे दामों पर खरीदनी पड़ती है।
प्रदेशाध्यक्ष विनय राणा ने हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार से मांग की है कि वह इस और तुरंत ध्यान दें और जन औषधि केंद्रों पर सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाएं जिससे मरीज प्राइवेट दुकानों पर महंगी दवाइयां खरीद कर लूटने से बच सकें।