हैल्थ बायोटेक, यूनाइटेड बायोटेक व समर्थ करती है दवा का निर्माण
सोलन : कोरोना के बाद देश भर में ब्लैक फंगस ने कोहराम मचा दिया है और हिमाचल समेत कई राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले आ रहे है , लेकिन राहत भरी खबर यह है की हिमाचल के सोलन के बीबीएन में तीन दवा कंपनियों द्वारा ब्लैक फंगस की मेडिसिन का निर्माण किया जाता है। मगर इससे पूर्व एंटी वायरल मेडिसिन की खपत काम होने के चलते दवा उद्योगों द्वारा कम उत्पादन किया जा रहा था। दो दवा कंपनियों ने तो उत्पादन बंद कर दिया था लेकिन दवा निर्माण का लाइसेंस अभी भी है। ब्लैक फंगस के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवा एम्फोटेरिसिन-बी का जल्द ही हिमाचल के दवा उद्योगों में भी उत्पादन शुरू हो जाएगा। मौजूदा समय में बद्दी की तीन फार्मा कंपनियों के पास एम्फोटेरिसिन-बी के निर्माण का लाइसेंस है। यह कंपनियां सामान्य हालातों में मांग कम होने की वजह से इस दवा का सीमित उत्पादन करती है, लेकिन अब मांग बढ़ते ही फार्मा कंपनियों ने भी उत्पादन बढ़ाने के लिए कदमताल तेज कर दी है। एक कंपनी ने घरेलू मांग को पूरा करने के लिए इसी सप्ताह प्रदेश दवा नियंत्रक से इस दवा लाइसेंस हासिल किया है। उम्मीद जताई जा रही है कि जिस तेजी के साथ एंटी-फंगल दवा एम्फोटेरिसिन-बी की डिमांड बढ़ रही है,उक्त कंपनियां जल्द ही इस दवा का उत्पादन शुरू कर देंगी। बतातें है कि हिमाचल की फार्मा कंपनियां जिस तरह से कोरोना के कहर से जूझ रहे देश दुनिया को राहत दिलाने के लिए कोरोना के उपचार में इस्तेमाल की जा रही दवाओं के उत्पादन में दिन रात जुटी है, उसी तरह ब्लैक फंगस के उपचार की दवा के उत्पादन के लिए एकशन मोड पर आ गई है, हालांकि दवा निर्माता कंपनियों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती सबंधित दवा के रॉ मटीरियल की उपलब्धता का है, दरअसल एम्फोटेरिसिन-बी का कोटिंग मटीरियल आयात किया जाता है और इसकी खासी किल्लत चल रही है। इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक एंटी फंगल दवाओं के नए स्टॉक को मार्केट में पहुंचने में 15 से 30 दिन का समय लगेगा, क्योंकि इस दवा का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है और इसमें कई दिन का समय लगता है। उनके अनुसार यह इंजेक्शन का उत्पादन लिपोसोमल प्रौद्योगिकी के जरिए किया जाता है, इसका उत्पादन चक्र तकरीबन तीस दिनों का है, इसमें स्टर्लिटी परीक्षण करने की आवश्यकता होती है और उसके बाद ही तैयार माल को वितरण के लिए भेजा जा सकता है। हिमाचल में सिर्फ बद्दी में तीन फार्मा कंपनियों हैल्थ बायोटेक, यूनाइटेड बायोटेक व समर्थ लाइसेंस के पास इस दवा के निर्माण का लाइसेंस है, उक्त कंपनियां सामान्य स्थितियों में एंटी फंगल दवा लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी की मांग बेहद कम होने की वजह से दवा का निर्माण सीमित मात्रा में ही करती है, ज्यादातर इस दवा का निर्यात ही किया जा रहा था, लेकिन देश में ब्लैक फंगस के मामलों में अचानक हुई बढ़ोतरी के उपरांत फार्मा हब बद्दी की फार्मा कंपनियां भी अलर्ट हो गई है। उधर, राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने पुष्टि करते हुए बताया कि बददी की तीन फार्मा कंपनियों के पास लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी के निर्माण का लाइसेंस है, उक्त कंपनियां सीमित मात्रा में इस दवा का उत्पादन कर रही थी, लेकिन अब मांग बढ़ने पर कंपनियां उत्पादन बढ़ाने में जुट गई है।