क्रिप्टो करंसी ठगी में एसआईटी टीम द्वारा गिरफ्तार धर्मपुर के सुखदेव के ठाटवाट किसी जमाने में निराले थे। महंगी गाडिय़ों में घूमना, बड़े-बड़े होटल में ठहरना और ब्राडेड कपड़ों की चकाचौंध को देखकर सब हैरान रह जाते थे। किसी समय में सुखदेव काम के लिए तरसता था, लेकिन जब युवाओं ने उसके ठाटबाट देखे तो सब उसकी बातों में फंसते चले गए। धर्मपुर क्षेत्र से पेहड़ पंचायत के कौंसल गांव से संबद्ध रखने वाले सुखदेव ने पढ़ाई करने के बाद जब कहीं काम नहीं मिला तो मंडी शहर की एक दुकान में काम भी किया।
यहां जब ठीक नहीं लगी तो सुखदेव बीबीएन पहुंच गया और एक निजी कंपनी में काम करना शुरू किया, लेकिन इसी बीच एक एमएलएम कंपनी के संपर्क में आया, जिसमें मंडी से कुछ लोग पहले ही जुड़े हुए थे। इसी कंपनी में सुखदेव की मुलाकात सुभाष, हेमराज और प्रवीण से संपर्क में आया। बस यहीं से ही सुखदेव के दिन बदले और क्रिप्टो करंसी में पैसा डबल करवाने के नाम पर युवाओं को ठगने का काम शुरू हो गया। सरकाघाट और धर्मपुर क्षेत्र से बद्दी, सोलन, नालागढ़़ और सिरमौर में काम रहे धर्मपुर के युवाओं को पहले निशाना बनाया है। बाद में धर्मपुर में अपने रिश्तेदार, व्यापारियों, ठेकेदारों और युवाओं को भी नहीं छोड़ा। धर्मपुर से अभी तक तीन करोड़ से अधिक की धोखाधड़़ी के मामले सामने आ चुके है।
अवार्ड मिलने के बाद धर्मपुर के होटल में स्वागत
सुखदेव ने पैसों के बूते एक बद्दी में एनजीओ भी बनाया। इसी के दम पर युवाओं को डिजिटल क्रांति के नाम से जोडऩे का काम कर उन्हें क्रिप्टो के खेल में फंसा दिया। एक समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई से नेल्सन मंडेला नोबेल शांति पुरस्कार भी प्राप्त किया। पुरस्कार प्राप्त करने के बाद धर्मपुर में बैंडबाजों से सुखदेव का स्वागत हुआ था।