रेणुका गौतम , कुल्लू : प्रदेश में आयुष विभाग दवाओं की गुणवत्ता के लिए खुले बाजार में बिक रही आयुष दवाओं को जांच हेतु दवाओं के सैंपल एकत्रित किए जा रहे हैं। दरअसल आजकल प्रदेश में आयुर्वेदिक दवाओं की बढ़ती मांग व इसके उत्पादन के साथ दवाइयों की गुणवत्ता के लिए कैमिस्ट, करियाना इत्यादि की दुकानों में बिकने वाले आयुर्वेदिक उत्पादों को आयुष विभाग के अधिकारी जांच हेतु एकत्रित कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश आयुष विभाग ने प्रदेश में ऐसे आयुष विभाग के वरिष्ठ चिकित्सकों को इसके लिए पूर्व में डीआई यानी ड्रग इंस्पेक्टर की शक्तियां प्रदान की हैं। वहीं प्रदेश में सभी 12 जिलों के लिए 14 आयुष विभाग के वरिष्ठ चिकित्सकों को ड्रग इंस्पेक्टर की शक्तियां सौंपकर खुले बाजार से आयुर्वेदिक दवाइयों के सैंपल एकत्रित करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। गौरतलब है कि इससे पहले केवल उत्पादन इकाइयों में ही आयुष की दवाइयों की गुणवत्ता की जांच की जाती थी, मगर अब ओपन मार्केट से भी सँपल लिए जा रहे हैं।
जिला कुल्लू में जारी नए आदेशों के बाद वरिष्ठ चिकित्सक डाक्टर मनीष सूद द्वारा जिला के हर स्थानों से सैंपल एकत्रित किए गए। जिसमें मुख्य तौर पर कफ सिरप, खांसी, पेट रोग, लीवर किडनी से जुड़े रोगों में प्रयोग आने वाली आयुष की दवाइयों के सैंपल हैं। वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. मनीष सूद ने बताया कि आयुष विभाग के जारी नए आदेशों के बाद अब ओपन मार्केट से आयुष के उत्पादों को ड्रग एवं कॉस्मैटिक एक्ट के तहत गुणवत्ता की जांच के लिए एकत्रित किया जा रहा है। जिसकी जांच जोगिंद्रनगर स्थित ड्रग टेस्ट लैब में करवाई जाएगी। वहीं गुणवत्ता में खरा न उतरने पर उत्पाद को बेचने वालों पर भी कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
डॉ. ज्योति कंवर, जिला आयुष अधिकारी ने मामले को लेकर बात करते हुए मीडिया को बताया कि आयुष विभाग बाजार में मिल रही आयुर्वेदिक दवाओं और उत्पादों की गुणवत्ता जांच कर रहा है। इसके लिए ओपन मार्केट से सैंपल उठाए जा रहे हैं। इससे पूर्व उत्पादन कंपनियों या इकाईयों से सैंपल लिए जाते रहे हैं, लेकिन अब बाजार से भी सैंपल लेकर उनकी जांच की जाएगी ताकि आयुर्वेदिक दवाओं और अन्य उत्पादों की गुणवत्ता से खिलवाड़ न किया जा सके।