Friday, August 8, 2025
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अब पित्त की नली के कैंसर का ब्रैकीथेरेपी से उपचार संभव


-डॉ. शिखा सूद ने पित्त की नली के कैंसर का किया बिना चीरफाड़ उपचार
-आईजीएमसी के इतिहास में पहली दफा हुआ इस तरह का सफल आॅपरेशन

शिमला : कोविड-19 के इस दौर में एक तरफ जहां कोरोना संक्रमण ने पूरी तरह से हेल्थ सिस्टम को हिलाकर रख दिया है, वहीं कुछ ऐसे चिकित्सक भी हैं जो जान जोखिम में डालकर मरीजों का समय पर इलाज कर उन्हें नई जिंदÞगी दे रहे हैं। गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए डॉक्टर्स भगवान से कम नहीं होते। बहुत से ऐसे मरीज होते हैं जिनका समय पर इलाज न हो तो समस्या गंभीर हो जाती है। मंगलवार को एक ऐसे ही मरीज का सफल आॅप्रेशन आईजीएमसी के इतिहास में पहली हुआ है। यह आॅप्रेशन रेडियोलॉजी विभाग से इंटरवेशन रेडियोलॉजिस्ट एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिखा सूद ने किया।
उन्होंने गॉलब्लैडर के कैंसर से ग्रसित 51 वर्षीय शिमला निवासी कर्मचंद का 2017 में आॅप्रेशन किया गया था। इसके बाद उन्हें कीमोरेडियोथेरेपी दी गई थी। 2021 में मरीज को पीलिया हुआ तो अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन तथा पेटसीटी से पता चला कि कैंसर की वजह से उनके जिगर के पास लिम्फÞसनोड बन गए हैं तथा उनकी पित्त की नली में रुकावट आ रही है। इसकी वजह से उन्हें पीलिया हो गया है। क्योंकि इन लिम्फÞसनोड ने जिगर की आरट्रीज को घेर रखा था। अत: चिकित्सकों के लिए दोबारा आॅपरेशन संभव नहीं था।
रेडियोलॉजी विभाग से इंटरवेशन रेडियोलॉजिस्ट एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिखा सूद ने बिना चीरफाड़, बिना बेहोश किए मरीज की पेट की चमड़ी से जाते हुए जिगर से गुजरकर रुकी हुई पित्त की नलियों को कैथेटर डालकर खोल दिया तथा उनका पित्त इस आॅप्रेशन के बाद सामान्य रूप आंतों में जाने लगा तथा मरीज का पीलिया बिल्कुल ठीक
हो गया।
इसके बाद मंगलवार को मरीज को इस कैथेटर के द्वारा बे्रकीथेरेपी दी गई। इससे की मरीज में पड़े लिम्फÞसनोड को जला दिया गया ताकि वह कैथेटर तथा भविष्य में डाले जाने वाले स्टेंट को बंद न कर सके। इस तरह का यह पहला सफल आॅप्रेशन आईजीएसमी के इतिहास में पहली बार हुआ है। डॉ. शिखा सूद का कहना है कि इस उपचार से अब वह मरीज जो गॉलब्लैडर के कैंसर, पित्त की नलियों का कैंसर जैसे पैरीएम्पूलरी कैंसर आदि जैसों बीमारियां जो कि आॅप्रेशन करने के दायरे से बाहर जा चुके होते हैं, का इलाज संभव हो सकेगा।
यह अपने आप में आईजीएमसी के इतिहास में एक नए दौर का इलाज है। डॉ. शिखा सूद ने बताया कि यह प्रणाली उन्होंने अपने शिक्षक प्रोफेसर शिवानंदन गमनगट्टी से सीखी, जो कि एम्स नई दिल्ली में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।
याद दिला दें कि डॉ. शिखा सूद हाल ही में एम्स नई दिल्ली से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रेडियोलॉजी में फैलोशिप करके आई हैं तथा कई तरह के नए-नए इलाज आईजीएमसी में डीएसए तथा सीआर्म मशीनों की सहायता से कर रही हैं।
डॉ. शिखा सूद ने बताया कि कोविड-19 के चलते भी उन्होंने अपनी सूझबूझ तथा साहसपूर्ण से इस आॅप्रेशन सफल किया, जिसे बिना चीरफाड़ किए मरीज का पीलिया खत्म किया, बल्कि पित्त की नली को बंद करने वाले लिम्फÞसनोड को भी ब्रेकीथेरेपी के जरिए जला दिया। इस सारे आॅप्रेशन के वक्त मरीज पूरी तरह से होश में था तथा अपना आॅप्रेशन स्वयं होते देख रहा था और डॉक्टर से बात भी कर रहा था।
बता दें कि पिछले दो माह में डॉ. शिखा सूद ने करीब 41 मरीजों की जान बचाई है। इस आॅप्रेशन के दौरान रेडियोथेरेपी विभाग के एचओडी डॉ. मनीष, डॉ. दीपक तुल्ली, डॉ. ललित तथा रेडियोलॉजी विभाग के डॉ जॉन, रेडियोग्राफर तेजेंद्र एवं नर्सिज ज्योति, सुनीता व वैजंती भी मौजूद रहे।

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