शिमला ; स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की 94वीं पुण्यतिथि है। जिसपर देश आज उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है।
शिमला स्कैंडल प्वाइंट स्थित लाला लाजपत राय की प्रतिमा पर उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने पुष्प अर्पित कर उनको श्रद्धांजलि दी व उनके देश के प्रति योगदान को याद किया। इस मौके पर एसपी शिमला मोनिका भटूंगरू, नगर निगम आयुक्त आशीष कोहली सहित अन्य गणमान्य लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
लाला लाजपत राय के दिल में हमेशा से सेवा का भाव था. यहीं कारण था कि सन्न 1897 और 1899 के अकाल और चेचक महामारी के प्रकोप में उन्होंने खुद की चिंता किए बगैर राहत कार्यों में बढ़-चढ़ कर सेवाएं दी. लाला जी के व्यक्तित्व को विशेष पहचान 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध के दौरान मिली.
ये वो दौर था जब लाल-बाल-पाल (लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल) की तिकड़ी ने ब्रिटिश शासन की नाक में दम कर रखा था. इस तिकड़ी स्वतंत्रता समर में वो नए प्रयोग किए थे जो उस समय में अपने-आप में नायाब थे. लाल-बाल-पाल के नेतृत्व को पूरे देश में भारी जनसमर्थन मिल रहा था.
लाला लाजपत राय की भूमिका यहां भी
ब्रिटेन में तैयार उत्पादों का बहिष्कार, मैनचेस्टर की मिलों में बने कपड़ों से परहेज, औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में हड़ताल इनकी तिकड़ी के इजात किए विरोध के नए तरीकों में से प्रमुख थे. स्वावलंबन से स्वराज्य प्राप्ति के पक्षधर लालाजी अपने विचारों की स्पष्टवादिता के चलते उग्रवादी नेता के रुप में काफी लोकप्रिय हुए.
देश को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के ध्येय को धारण करते हुए उन्होंने बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल समेत अन्य साथी क्रांतिकारियों के सहयोग से देश में व्यापक रुप से स्वदेशी आंदोलन का मुहीम चलायी. जिससे गोरे अंग्रेजों को भारी नुकसान हुआ और लाला के नाम का खौफ उनके भीतर और अधिक बढ़ गया.
विषम परिस्थितियों में भी नहीं छोड़ी राष्ट्र वंदना
अक्टूबर 1917 में लालाजी ने अमेरिका पहुंचकर वहां के न्यूयॉर्क शहर में इंडियन होम रूल लीग ऑफ अमेरिका नाम से एक संगठन की स्थापना की. इस माध्यम से लालाजी ने देश से बाहर रहकर भी देश की स्वाधीनता की चिंगारी को लगातार हवा देने का काम किया. संगठन के माध्यम से अपने देश और देशवासियों के उत्थान के लिए काम करते हुए जब 20 फरवरी 1920 को लालाजी भारत लौटे तो उस समय तक वह देशवासियों के लिए एक महान नायक बन चुके थे.