रेणुका गौतम
कुल्लू
जिला कुल्लू में देवी-देवताओं की शक्तियां कायम होने का प्रमाण इंद्र देव ने दिया। खुश्क ठंड के बीच और मौसम साफ होने के बावजूद देवी-देवताओं ने अपनी शक्तियों का आह्वान बारिश से किया। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के दौरान देवभूमि के लोगों के साथ-साथ भगवान रघुनाथ जी के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह लगातार देवी – देवताओं से बारिश की लगातार मांग कर रहे थे। दशहरा उत्सव में भगवान रघुनाथ जी के दर चाकरी करने पहुंचे देवी-देवताओं ने यहां अन्य देवी-देवताओं को न बुलाने की नाराजगी जाहिर की थी। वहीं, इस नाराजगी को लेकर भगवान रघुनाथ जी के दर में देव पूछ भी डाली गई थी, जिसमें देवी-देवताओं से यह प्रार्थना की है कि यदि यह सभी देवी-देवताओं की नाराजगी है तो कोई चमत्कार जल्द दिखाया जाए। साफ मौसम में बारिश करवाने का चमत्कार करवाने का देवलुओं ने देवी-देवताओं से अर्ज की थी। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के दूसरी दिन अठाहर करडू की सौह से पीज के देवता जमलू, हलाण के धूंबल नाग, मेहा के श्रीनारायण, डमचीन के देवता वीरनाथ, सोयल की देवी मां कोटली अपने देवालय के लिए रवाना हुए थे। वहीं, सुल्तानपुर से देवों के देव बिजली महादेव भी दशहरा उत्सव के दूसरे दिन अपने देवालय लौटे। देवालय लौटने के बाद ही देवी-देवताओं ने अपनी शक्तियों का आभास साफ मौसम में अचानक मौसम में बदलाव के साथ बारिश करवा कर डाला। कुल्लू में बारिश होने से नाग धूंबल, देवता वीरनाथ डमचीन और देवता श्रीनारायण द्वारा देव नाराजगी के लिए करवाए गए छिद्रा(पश्चाताप) का तुरंत असर देखने को मिला। गौर हो कि मौसम विभाग ने सात-आठ नवंबर के बाद मौसम करवट लेने की बात कही थी, लेकिन देवभूमि कुल्लू के देवी-देवताओं ने अठारह करडू की सौह में अपने चेलों (गूरों) के माध्यम से की गई भविष्यवाणी को सच कर दियाा। जैसे ही देवी-देवता दशहरा उत्सव के दूसरे दिन अपने-अपने देवालय पहुंचे तो सोमवार सुबह ही मौसम ने अचानक करवट बदली और जिला के ऊंझे इलाकों में झमाझम बारिश और निचले क्षेत्र ढालपुर सहित अन्य क्षेत्रों मे भी बारिश की बछौंरे बरसीं। इससे देवभूमि के लोगों ने देवशक्तियां यहां कायम होने का आभास किया। देवलुओं का कहना है कि कुल्लू में अचानक बारिश होने सेे देवी-देवताओं की नाराजगी सचमुच दिखी, और देवनीति में हुई राजनीति की बात भी इस चमत्कार के साथ उजागर हुई। देवालय लौटते-लौटते तक मुख्य छड़ीबरदार देवताओं से बारिश प्रार्थना ही करते थे। देवी-देवताओं ने भगवान रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर में जगती करवाने के आदेश दिए थे। वहीं, इसके बाद नाग धूंबल और देवता वीरनाथ ने छिद्रा करने के लिए भी कहा। इस परंपरा को बखूबी से निभाया गया। लिहाजा, देवी-देवताओं की सारी भविष्यवाणी सच्ची निकली और प्रार्थना अनुसार बारिश करवाई। यह जगती निश्चित रूप से होने का आह्वान भी देवी-देवताओं ने करवा डाला है।