Saturday, September 21, 2024
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कुछ नेताओं ने करवाया था विवेकानंद ट्रस्ट में केस ,भाजपा में बढ़ रहा प्रदूषण : शांता कुमार

धर्मशाला  : विवेकानंद संस्थान के खिलाफ जनहित याचिका पर आए न्यायालय के सकारात्मक फैसले का ट्रस्ट के अध्यक्ष शांता कुमार ने स्वागत किया है। उन्‍होंने इसे संस्थान के हक में बड़ा फैसला बताया है। उन्हाेंने कहा जनहित की सुनवाई करने के बाद उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता काे फटकार लगाते हुए जुर्माना भी लगाया है। कायाकल्प संस्थान में बुधवार काे पत्रकार वार्ता काे संबाेधित करते हुए शांता कुमार ने कहा कि उन्हें इस बात का दु:ख है कि जनहित याचिका में उन्हें बदनाम करने की साजिश अपनी पार्टी के ही कुछ लोगों ने की है। उन्हाेंने नाम लिए बिना आगाह किया कि आने वाले समय में उनका भंडाफाेड़ किया जाएगा। शांता ने भाजपा में भी बढ़ते राजनीतिक प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि भगवान उन्हें सदबुद्धि दे। उन्हाेंने कहा कुछ साथी मानहानि का दावा करने की सलाह दे रहे हैं, मगर उन्हाेंने मानहानि का दावा करने का निर्णय त्याग दिया है। उन्हें बस इतना कहना है कि भगवान उन्हें अच्छी बुद्धि प्रदान करे। शांता कुमार ने कहा आठ साल तक चले इस केस ने उन्हें मानसिक पीड़ा पहुंचाई है। लेकिन सबसे बड़ी मानसिक पीड़ा यही रही कि हमारी पार्टी के कुछ नेताओं ने दूसरे के कंधे पर बंदूक चलाकर शांता कुमार काे बदनाम करने का असफल प्रयास किया है। उन्हाेंने बताया न्यायालय ने अपने फैसले में साफ कहा है कि जनहित याचिका साफ दिल से हाेनी चाहिए। काेर्ट ने याचिका काे शांता कुमार के प्रति दुर्भावना, निजी द्वेष, चरित्र हनन व राेषाराेपण बताया है। उन्हाेंने कहा मेरी बात काे हाईकोर्ट ने ही स्पष्ट कर दिया कि यह किसी अाेर का शरारतपूर्ण कृत्य था व काेर्ट का समय बर्बाद करने के लिए याचिकाकर्ता काे एक लाख रुपये जुर्माना की सजा भी सुनाई है। इसमें 25 हजार रुपये ट्रस्ट काे मिलेंगे। उन्हाेंने कहा यह संस्था जन सहयाेग से खड़ी है तथा काेर्ट ने जनता के हक में ही फैसला दिया है। ट्रस्ट के अध्यक्ष ने कहा कि यदि यह मामला कांग्रेस पार्टी ने आरोप – प्रत्याराेप व पार्टी काे नीचा दिखाने के लिए किया हाेता ताे माना जा सकता है। मगर यह हमारी पार्टी के कुछ लाेगाें ने मुझे बदनाम करने की कुचेष्‍ठा की है, इससे मानसिक पीड़ा हुई है। नाम किसी और काे और  दान किसीऔर का, यदि कांग्रेस पार्टी यह कृत्य करती ताे इतना दु:ख नहीं हाेना था। जनता के एक-एक पैसे से लाखाें रुपये का ट्रस्ट में खर्च किए जा रहे हैं। खर्च बचाने के लिए ट्रस्टी टीए डीए तक नहीं लेते हैं, जबकि हमारी पार्टी ही संस्थान काे बंद करवाने में आगे आ रही है।उन्हाेंने कहा एक वर्ष पहले ही उच्च न्यायालय ने सरकार से रिपाेर्ट मांगी थी व इसी रिपाेर्ट के अाधार पर फैसला आया है। शांता कुमार ने बताया ट्रस्ट काे विदेशाें में भी पहचान मिली है। 40 देशाें के करीब 1254 लाेग  कायाकल्प में उपचार करवा चुके हैं। अमेरिका की एक संस्था से प्रति वर्ष 11 लाेग प्रशिक्षण लेने अाते हैं। उन्हाेंने बताया काेर्ट का फैसलाआने पर ट्रस्ट ने खुशी मनाई व हल्वा बांटा। उन्हाेंने कहा अब ट्रस्ट का अगला फाेकस जनहित में शेष विकास कार्याें काे आगे बढ़ाना रहेगा। गौर हाे कि आठ वर्ष पूर्व क्षेत्र के एक प्रार्थी की और से विवेकानंद ट्रस्ट पर आरोप लगाया था कि करोड़ों का चंदा उगाही कर, जनता को झूठा सपना दिखाकर अस्पताल बनाया गया। लेकिन बाद में चैरिटेबल अस्पताल का व्यवसायीकरण कर दिया गया। प्रार्थी की इस याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने पिछले दिनाें सुनाए फैसले में प्रतिवादी के सभी आरोपों को तथ्यहीन पाया तथा निर्णय में कहा अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए साफ मन, स्वच्छ हृदय और उद्देश्य का होना जरूरी है। प्रार्थी ने अदालत का कीमती समय बर्बाद ही नहीं किया, अपितु प्रतिवादियों को भी अबांछित मुकद्दमे में धकेला है। शांता कुमार ने कहा कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है तथा याचिका कर्ता को दंडित करने से यह स्पष्ट हो गया है कि वीएमआरटी जनसेवा के प्रति समर्पित है।

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