Friday, March 14, 2025
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत के विकास में सरकार का सराहनीय कदम,


एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के एक दिवसीय वेबिनार में बोले हायर एजुकेशन कॉउन्सिल के चेयरमैन प्रो. सुनील कुमार गुप्ता
शिमला, स्थानीय एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में शुक्रवार को भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उन्नत भारत अभियान के तहत ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ विषय पर डीन एकेडेमिक्स डॉ. कुलदीप कुमार की ओर से एक दिवसीय वेबिनार आयोजित करवाया गया। बेविनार में शिक्षाविदों द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपने विचार सांझा कर गहन विमर्श किया। चर्चा की शुरुआत एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. रमेश कुमार चौधरी की अध्यक्षता व मुख्य वक्ताओं के स्वागत भाषण से हुई। बेविनार में हिमाचल प्रदेश हायर एजुकेशन कॉउन्सिल के चेयरमैन प्रो. सुनील कुमार गुप्ता (एच पीयू पूर्व कुलपति) वशिष्ठ शिक्षाविद व वक़्ता रहे। कुलपति प्रो. रमेश कुमार चौधरी ने अपने स्वागत भाषण के क्रम में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रासंगिकता एवं मेहता पर बोलते हुए कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा लाई गई यह नई शिक्षा नीति का ह्रदय से स्वागत करना चाहिए , इससे आत्मनिर्भर भारत के विकास का रास्ता प्रशस्त होगा । कुलपति चौधरी ने प्रधानमंत्री मोदी और जय राम ठाकुर सरकार की सराहना करते हुए कहा कि सरकार के इस प्रयास से प्राइमरी एजुकेशन से लेकर उच्च शिक्षा के साथ देश के विकास में सकारात्मक बदलाव आएगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विस्तृत समीक्षा करते हुए प्रो. सुनील कुमार गुप्ता ने इसे सरकार का महत्वपूर्ण कदम बताया। प्रो. गुप्ता ने कहा कि 34 बर्ष बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव के साथ भारत हर क्षेत्र में मजबूती से आगे बढ़ेगा। प्रो. सुनील कुमार गुप्ता ने बेविनार में प्रतिभागी छात्रों, शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के चहुमुखी विकास के लिए एक सुनहरा अवसर है और यह प्रधानमंत्री नरेंद मोदी का विज़न है कि शिक्षा ऐसी हो जो अच्छे नागरिक के साथ-साथ आत्मनिर्भर और स्कूल टाइम से ही व्यवसायिक ज्ञान के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाले हों ताकि वे आत्मनिर्भर भी हों और अपने राष्ट्र के विकास में अपना योगदान भी दें। हायर एजुकेशन कॉउन्सिल के चैयरमैन प्रो. सुनील कुमार गुप्ता ने इस बात पर विशेष बल दिया कि भारत के विकास में अब कोरी शिक्षा , किताबी ज्ञान प्रासंगिक नहीं है बल्कि हमें विकसित देशों की तरह प्रक्टिकल और वोकेशनल एजुकेशन को अधिक महत्व देना है और इस संबंध में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रबंध कर लिया गया है। गुप्ता ने कहा कि इस तरह की शिक्षा स्कूल स्तर से लेकर उच्च शिक्षा के स्तर पर लागू होगी। उन्होंने कहा कि अब जॉब क्रिएटर वाले बहुविकल्पीय कोर्स की तालीम दी जाएगी ताकि छात्र आत्मनिर्भर भी हों, छात्रों को प्रक्टिकल ज्ञान के साथ शिक्षा विकास में सकारात्मक परिणाम भी लाएं। प्रो. गुप्ता ने कहा कि प्राइमरी स्तर की शिक्षा बच्चों पर बोझ न होकर सुगम प्लेमेथोड पर होनी चाहिए जिसका इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रवधान है। प्रो. सुनील गुप्ता ने इस बात पर भी बल दिया कि शिक्षा को संस्कृति, स्थानीय भाषाओं से जोड़कर स्थानीय भाषाओं का विकास होगा और छात्र के शिक्षण-अध्ययन में भी आसानी होगी। इस अवसर पर एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. आर.के. कायस्थ, डॉ. रमेश चैहान और वरिष्ठ पत्रकार व विजिटिंग प्रो. डॉ. अश्वनी शर्मा ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपने विचार सांझा करते हुए कहा कि सरकार द्वारा लाई गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति निश्चय ही भारत को शिक्षा के क्षेत्र में आशातीत सफलता प्राप्त होगी। डॉ. कुलदीप कुमार ने सभी वक्ताओं का धन्यवाद करते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के विकास में मील का पत्थर साबित होगी और भारत नई तालीम के साथ आगे बढ़ेगा। डॉ अंजलि शर्मा इस कार्यक्रम की संचालिका रही।

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