Saturday, December 21, 2024
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टिक टॉक समेत 59 चीनी एप्प पर भारत सरकार ने लगाई पाबंदी

नई दिल्ली. सरकार ने चीन के 59 ऐप्स पर सोमवार को बैन लगा दिया। इस लिस्ट में टिक टॉक, यूसी ब्राउजर, हैलो और शेयर इट जैसे ऐप्स शामिल हैं। सरकार ने कहा कि इन चाइनीज ऐप्स के सर्वर भारत से बाहर मौजूद हैं। इनके जरिए यूजर्स का डेटा चुराया जा रहा था। इनसे देश की सुरक्षा और एकता को भी खतरा था। इसी वजह से इन्हें बैन करने का फैसला लिया गया।

सरकार ने चीनी ऐप्स पर बैन की 7 वजहें बताईं, 7 बार सम्प्रभुता और एकता का जिक्र किया

सरकार ने इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के सेक्शन 69ए के तहत इन चीनी ऐप्स को बैन किया है। सरकार के मुताबिक, ये ऐप्स जिन गतिविधियों में शामिल हैं, उनसे भारत की सुरक्षा, सम्प्रभुता और एकता को खतरा है।

पिछले कुछ दिनों से 130 करोड़ भारतीयों की प्राइवेसी और डेटा की सुरक्षा को लेकर चिंताएं जाहिर की जा रही थीं। इनमें कहा गया था कि इन ऐप्स से सम्प्रभुता और एकता को खतरा है।

सूचना मंत्रालय को मिल रही शिकायतों में कहा गया था कि एंड्राॅयड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर मौजूद कुछ मोबाइल ऐप्स का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। ये ऐप्स गुपचुप और अवैध तरीके से यूजर का डेटा चोरी कर भारत के बाहर मौजूद सर्वर पर भेज रहे थे।

भारत की सिक्युरिटी और डिफेंस के लिए इस तरह से जमा किए गए डेटा का दुश्मनों के पास पहुंच जाना चिंता की बात है। यह भारत की एकता और सम्प्रभुता के लिए खतरा है। यह बेहद गहरी चिंता का विषय है और इसमें तुरंत कदम उठाना जरूरी था।

इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर, गृह मंत्रालय को भी इस तरह के खतरनाक ऐप्स को तुरंत बैन करने के लिए रिकमंडेशन भेजी गई थी। कुछ ऐप्स और उनके गलत इस्तेमाल को लेकर लोगों ने भी चिंताएं जाहिर की थीं। कम्प्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम को भी डेटा चोरी और प्राइवेसी को खतरे की शिकायतें मिली थीं।

संसद के अंदर और बाहर भी इस तरह के ऐप्स को लेकर चिंताएं जाहिर की गई थीं। भारत की जनता भी लगातार इन ऐप्स के खिलाफ एक्शन की मांग कर रही थी, क्योंकि इनसे देश की सम्प्रभुता और नागरिकों की प्राइवेसी को खतरा है।

इन सब शिकायतों और भरोसेमंद जानकारी के आधार पर हमें पता चला कि ये ऐप्स देश की एकता और सम्प्रभुता के लिए खतरा हैं। सरकार ने फैसला किया है कि इन ऐप्स को मोबाइल और इंटरनेट से चलने वाली डिवाइस पर इस्तेमाल बैन कर दिया जाए। इंडियन साइबरस्पेस की सुरक्षा और सम्प्रभुता के लिए यह फैसला लिया गया है।

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