आई.पी.एस. अधिकारी व पुलिस महानिरीक्षक सशस्त्र एवं प्रशिक्षण शिमला जे.पी.सिंह और वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.के.चौधरी वेबिनार में मुख्य वक्ता रहे
शिमला, स्थानीय अलख प्रकाश गोयल शिमला विश्वविद्यालय (एपीजी शिमला विश्वविद्यालय) और वेंकटेश्वर ओपन विश्वविद्यालय की तरफ से वेबिनार लेक्चर-सीरीज़ के तहत एक दिवसीय योग से व्यक्तिगत विकास विषय पर वेबिनार वीरवार को आयोजित किया गया। वेबिनार में आई.पी.एस. अधिकारी जे.पी. सिंह पुलिस महानिरीक्षक सशस्त्र एवं प्रशिक्षण शिमला हिमाचल प्रदेश और वेंकटेश्वर ओपन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. आर.के. चौधरी ने बतौर मुख्यातिथि व वक़्ता शिरकत कर बड़ी संख्या में छात्रों, शिक्षकों, प्रतिभागी लोगों और कई विश्वविद्यालयों के छात्रों को योग और व्यक्तित्व व चरित्र-निर्माण संबंधी विस्तृत रूप से योग व योग आसनों, योग धारणा के स्वास्थ्य और व्यक्तित्व विकास में लाभों के बारे में बताया। जे.पी. सिंह ने सहज और सरल भाषा में योग के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग केवल प्राणायाम और योग आसनों तक सीमित नहीं है बल्कि यह उससे भी परे संपूर्ण व्यक्तित्व विकास, मानव विकास, समाज व राष्ट्र विकास का भी स्रोत है। आई.पी.एस. जे.पी.सिंह ने कहा कि योग से शारीरिक स्वास्थ्य लाभ ही नहीं होता बल्कि यह मन, बुद्धि और मनुष्य की इन्द्रियों पर नियंत्रण कर नकारात्मक विचारों को खत्म करता है और साकारात्मक विचारों को जन्म देता है जिससे मनुष्य सही और गलत का निर्णय कर श्रेष्ठ कर्म और श्रेष्ठ आदतों को अपनाता है तभी योग का महत्त्व सार्थक है। उन्होंने कहा कि योग से मनुष्य को स्व-का-बोध व ज्ञान हासिल होने के साथ उसकी चेतना के साथ भी तारतम्यता होनी चाहिए ताकि मनुष्य सत का पालन करते हुए मानव विकास, व्यक्तिगत विकास, आध्यात्मिक विकास, सामाजिक विकास और राष्ट्र विकास में अपनी भूमिका निभा सके। जे.पी. सिंह ने योग बारे विभिन्न पुराणों, वेदों में वर्णित योग के कई पहलुओं की जानकारी दी कि जब भी हम योग की बात करते हैं तो योग को सिर्फ आसान और प्राणायाम तक मान लेते हैं जबकि यह स्वास्थ्य लाभ तो देता ही है बल्कि यह आत्मशक्ति, आत्मशुद्धि, आत्मशांति, आत्मज्ञान की प्राप्ति भी करवाता है। योग मनुष्य को सद्गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है और एक साधारण मनुष्य भी विद्वान बन जाता है। सिंह ने कहा कि योग में मनुष्य को रजोगुण से सतोगुण की ओर ले जाने की क्षमता है जिसका जिक्र भगवान श्रीकृष्ण ने भी भगवद्गीता में किया है और अन्य धर्म-शास्त्रों में भी वर्णित है। उन्होंने कहा कि योग को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाया जाना चाहिए क्योंकि योग से निवारण भी है और तारण भी है परंतु योग की व्याख्या और इस्तेमाल कर्म गलत दिशा में नहीं होना चाहिए। उन्होंने रावण, कंस जैसे पुराणिक पात्रों का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने भी योग के बल पर कई सिद्धियां व विद्याएं हासिल कर रखी थीं परन्तु वे चरित्र-निर्माण, मानवीय विकास, सामाजिक विकास और राष्ट्र-विकास के हित में नहीं थीं बल्कि उनके शारिरिक विकास और तमोगुण के विकास में थीं। जे.पी.सिंह ने छात्रों को उनके लक्ष्यों में सफल होने के लिए सबसे पहले व्यक्तिगत व चरित्र-निर्माण की बारीकियों से अवगत कराया और कहा कि सकारात्मक सोच के साथ स्वयं की सत-चित से राय बनाएं और सत-चित प्रयास से अपने श्रेष्ठ लक्ष्य की ओर बढ़ें। उन्होंने कहा कि छात्र हो चाहे बड़े सभी को योग को अपनी जीवनशैली में नियमित रूप से करते रहना चाहिए। कार्यक्रम का अंतिम सत्र प्रश्न-उत्तर का रहा जिसमें छात्रों और शिक्षकों ने योग से जुड़ी कई भ्रांतियों संबंधी प्रश्न पूछे और जे.पी.सिंह ने साधारण शब्दों में समझाया भी और कई योग की शंकाओं को दूर किया। इस वेबिनार के अंत में एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.डॉ. रमेश चौहान ने धन्यवाद ज्ञापन भाषण में आई.पी.एस. जे.पी.सिंह का धन्यवाद करते हुए कहा कि योग से साकारात्मक विचार आते हैं और छात्रों के लिए यह तनाव को दूर करने के लिए एक संजीवनी विद्या भी है ताकि छात्र अपने लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर सकें। वहीं वेंकटेश्वर ओपन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. आर.के. चौधरी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आई.पी.एस. जे.पी. सिंह ने सही मायनों में योग की व्याख्या की और साधारण शब्दों में योग के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला जिससे छात्रों सहित अन्य प्रतिभागियों को जे.पी.सिंह के व्याख्यान से लाभ मिला और जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक ज्ञान का स्रोत मिला ताकि उस ज्ञान से व्यक्तिगत विकास के साथ सामाजिक विकास और राष्ट्र-विकास भी हो सके।
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