महाशिवरात्रि पर तंत्र, मंत्र साधना, तांत्रिक पूजा, रुद्राभिषेक करने के लिए 12 बजकर 25 मिनट से 1 बजकर 12 मिनट तक का समय श्रेष्ठ
शिमला।
महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस बार शिवरात्रि का पर्व 11 मार्च 2021 को पड़ रहा है। यह दिन भगवान शिव को मनाने और उनकी कृपा पाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
वशिष्ठ ज्योतिष सदन के अध्यक्ष व ज्योतिषाचार्य पंडित शशि पाल डोगरा के मुताबिक भगवान शिव केवल एक लोटा जल और बिल्व पत्र अर्पित करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ और आशुतोष भी कहा जाता है। महाशिवरात्रि पर जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से व्रत और पूजन करते हैं, शिव जी उनके जीवन के सभी कष्टों को हर लेते हैं और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। उनका कहना है कि इस बार शिव योग में महाशिवरात्रि का योग बना है।
ज्योतिषाचार्य पंडित शशि पाल डोगरा के मुताबिक महाशिवरात्रि के पावन दिन के बारे में कहा जाता है कि यूं तो साल में हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि आती है जिसे मास शिवरात्रि कहते हैं। लेकिन उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी और माघ मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी सबसे श्रेष्ठ है इसलिए इसे शिवरात्रि नहीं महाशिवरात्रि कहते हैं। इसकी वजह यह है कि इसी दिन प्रकृति को धारण करने वाली देवी पार्वती और पुरुष रूपी महादेव का गठबंधन यानी विवाह हुआ था।
महाशिवरात्रि पर रात का क्यों है महत्व
पंडित डोगरा ने कहा कि हिंदू धर्म में रात्रि कालीन विवाह मुहूर्त को उत्तम माना गया है। इसी कारण भगवान शिव का विवाह भी देवी पार्वती से रात्रि के समय ही हुआ था। इसलिए उत्तर भारती पंचांग के अनुसार जिस दिन फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि मध्य रात्रि यानी निशीथ काल में होती है उसी दिन को महाशिवरात्रि का दिन माना जाता है।
महाशिवरात्रि पर जीवन में प्रेम और आनंद के लिए आजमाएं ये उपाय
ज्योतिषाचार्य पंडित शशि पाल डोगरा कहते हैं कि इस वर्ष 11 मार्च को दिन में 2 बजकर 40 मिनट से चतुर्दशी तिथि लगेगी, जो मध्य रात्रि में भी रहेगी और 12 तारीख को दिन में 3 बजकर 3 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसलिए 12 तारीख को उदय कालीन चतुर्थी होने पर भी 11 मार्च को ही महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।
महाशिवरात्रि पर शिवयोग कब तक
पं. डोगरा के मुताबिक 11 मार्च महाशिवरात्रि के दिन का पंचांग देखने से मालूम होता है कि इस दिन का आरंभ शिवयोग में होता है, जिसे शिव आराधना के लिए शुभ माना गया है। शिवयोग में गुरू मंत्र और पूजन का संकल्प लेना भी शुभ कहा गया है, लेकिन शिवयोग 11 मार्च को अधिक समय तक नहीं रहेगा। यह सुबह 9 बजकर 24 मिनट पर ही समाप्त हो जाएगा और सिद्ध योग आरंभ हो जाएगा।
महाशिवरात्रि पर सिद्ध योग का लाभ
ज्योतिषाचार्य पंडित शशि पाल डोगरा कहते हैं कि सिद्ध योग को मंत्र साधना, जप, ध्यान के लिए शुभ फलदायी माना जाता है। इस योग में किसी नई चीज को सीखने या काम को आरंभ करने के लिए श्रेष्ठ कहा गया है। ऐसे में सिद्ध योग में मध्य रात्रि में शिवजी के मंत्रों का जप उत्तम फलदायी होगा।
महाशिवरात्रि मुहूर्त ज्ञान
चतुर्दशी आरंभ 11 मार्च : 2 बजकर 40 मिनट
चतुर्दशी समाप्त 12 मार्च : 3 बजकर 3 मिनट
निशीथ काल 11 मार्च मध्य रात्रि के बाद 12 बजकर 25 मिनट से 1 बजकर 12 मिनट तक
शिवयोग 11 मार्च सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक
सिद्ध योग 9 बजकर 25 मिनट से अगले दिन 8 बजकर 25 मिनट तक
धनिष्ठा नक्षत्र रात 9 बजकर 45 मिनट तक उपरांत शतभिषा नक्षत्र
पंचक आरंभ 11 मार्च सुबह 9 बजकर 21 मिनट से
महाशिवरात्रि पर पूजा का समय गृहस्थ और साधकों के लिए
महाशिवरात्रि के अवसर पर तंत्र, मंत्र साधना, तांत्रिक पूजा, रुद्राभिषेक करने के लिए 12 बजकर 25 मिनट से 1 बजकर 12 मिनट तक का समय श्रेष्ठ रहेगा।
सामान्य गृहस्थ को शुभ और मनोकामना पूर्ति के लिए सुबह और संध्या काल में शिव की आराधना करनी चाहिए।
2 बजकर 40 मिनट से चतुर्दशी लग जाने से दोपहरबाद शिवजी की पूजा का विशेष महत्व रहेगा।