शिमला: मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज भारतीय मजदूर संघ की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार कामगारों और श्रमिक वर्ग के कल्याण के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्डों और निगमों में करूणामूलक आधार पर रोजगार के मामलों की समीक्षा के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। उन्होंने सम्बन्धित विभागों को पंचायत वैटरनरी सहायकों के नियमितिकरण के मामलों पर उदारतापूर्वक विचार करने के भी निर्देश दिए।
जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने चार वर्षों के कार्यकाल में दिहाड़ीदारों की न्यूनतम दिहाड़ी 210 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये प्रतिदिन की है, जिससे उन्हें मासिक 2700 रुपये का लाभ प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने औद्योगिक इकाइयों में कार्य करने वाले श्रमिकों को पर्याप्त और समुचित दिहाड़ी सुनिश्चित की है। सभी दिहाड़ीदारों को साप्ताहिक अवकाश भी प्रदान किया जा रहा है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि गत चार वर्षों में प्रदेश सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं की राशि में 1750 रुपये की बढ़ोतरी की है। उन्होंने कहा कि बीते चार वर्षों में राज्य सरकार ने आंगनवाड़ी कार्यकताओं के मानदेय में भी 2850 रुपये प्रतिमाह की बढ़ोतरी की है और आज उन्हें 7300 रुपये प्रतिमाह प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अंशकालिक राजस्व कार्यकर्ताओं और स्नातक जल कार्यकर्ता लिपिक (वाटर वर्कर क्लर्क) से सम्बन्धित मामलों पर भी सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम, हिमाचल पथ परिवहन निगम और हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड सीमित के श्रमिकों और कर्मचारियों की मांगों पर भी सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बोर्डों और निगमों की सर्विस कमेटी की बैठकें नियमित आधार पर आयोजित की जानी चाहिए ताकि कर्मचारियों से सम्बन्धित मामलों का निस्तारण किया जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य में सीमेंट संयंत्र प्रबन्धकों द्वारा श्रमिकों के शोषण पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विशेष तौर पर सीमेंट संयंत्रों और अन्य औद्योगिक इकाइयों में आंतरिक गतिविधियों के लिए ठेकेदारों के माध्यम से सेवाएं उपलब्ध करवाने की अनुमति प्रदान की जाएगी।
जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के कर्मचारियों को श्रमिकों की सभी जायज मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जनसंख्या अनुपात में देश में सबसे अधिक कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी ने पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है और भारत तथा हिमाचल प्रदेश भी इसका अपवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान भारतीय मजदूर संघ ने इस स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश सरकार को अपना रचनात्मक सहयोग प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि राज्य के कर्मचारियों ने भी परीक्षा की इस घड़ी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विशेष तौर पर आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने महामारी के दौरान अपनी सराहनीय सेवाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष के बजट में इस बैठक में प्राप्त सुझावों को शामिल करने का भी प्रयास किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से पर्यवेक्षकों की पदोन्नति का कोटा 80 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को नवसृजित 412 पंचायतों में पंचायत चैकीदारों के पदों को सृजित करने और भरने के निर्देश भी दिए ताकि लोगों को सुविधा प्राप्त हो सके।
इस अवसर पर भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के अध्यक्ष मदन राणा ने मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य लोगों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हमेशा ही कर्मचारियों और श्रमिकों की विभिन्न मांगों के प्रति संवेदनशील रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से वर्ष 2022-23 के लिए राज्य का बजट तैयार करते समय मजदूरों और मजदूर वर्ग की विभिन्न मांगों पर विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि भारतीय मजदूर संघ का प्रत्येक कार्यकर्ता राज्य सरकार की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए अधिक प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ कार्य करेगा।
श्रम आयुक्त आशीष सिंघमार ने बैठक की कार्यवाही का संचालन किया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रम एवं रोजगार आर.डी. धीमान, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव सुभाशीष पांडा, आर.डी. नजीम और देवेश कुमार, सचिव डाॅ. अजय शर्मा, विकास लाबरू, राजीव शर्मा, अमिताभ अवस्थी और राकेश कंवर, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, बीएमएस के महासचिव यशपाल हेट्टा सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि इस अवसर पर उपस्थित थे।