शिमला जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि राजस्व कानूनों का सरलीकरण किया जाएगा। इसमें तकसीम, निशानदेही, इंतकाल सहित अन्य संबंधित न्यायालय मामलों के शीघ्र निपटारे को लेकर कमेटी के सदस्यों ने अपने सुझाव दिए। प्रदेश में लगभग 94902 मामले विभिन्न राजस्व न्यायालयों मे लंबित पड़े हैं। मंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार को भू-कानूनों पर प्रदेश सरकार की गठित विशेषज्ञ कमेटी की बैठक हुई। बैठक के दौरान राजस्व कानूनों के सरलीकरण के लिए कार्य सूची की मदों पर विस्तृत चर्चा की गई। सरकार ने भूमिहीन और गृह दान परिवारों को रिहायशी मकान के निर्माण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तीन बिस्वा और शहरी क्षेत्रों में दो बिस्वा भूमि देने का प्रावधान किया है। जनजातीय क्षेत्रों में नौ तोड़ नियमों के अंतर्गत, नौतोड़ भूमि आवंटन का प्रावधान है। सदस्यों का कहना था कि तकसीम, निशानदेही, इंतकाल मामलों में समनों की तामील समय पर नहीं होने का कारण बहुत विलंब होता है, इसलिए समनों की तामील समयबद्ध और कारगर बनाई जाए। प्रदेश में ऐसे बहुत से मामले लंबित हैं, जिनमें सरकारी भूमि को नौतोड़ के रूप में पात्र व्यक्तियों को आवंटित किया है। अभी तक मालिकाना हक नहीं मिले हैं। हिमाचल प्रदेश मुजारियत एवं भू-सुधार अधिनियम, 1972 के तहत व्यावहारिक बनाना जरूरी है। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्व आरडी धीमान, निदेशक भू-अभिलेख सीपी वर्मा, शिमला के बंदोबस्त अधिकारी मनमोहन शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता जीडी वर्मा मौजूद रहे। राजस्व मंत्री ने विधायक राम लाल ठाकुर, जगत सिंह नेगी, राकेश सिंघा, नरेंद्र ठाकुर, बलवीर सिंह और बिक्रम जरयाल की अध्यक्षता में उप-समितियों का गठन किया।
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