शिमला: जंगल में सूखी बेकार मानी जाने वाली चीड़ की पत्तियां अब महिलाओं की आय का साधन बन गई हैं। महिलाएं इनसे विभिन्न तरह के घरेलू उत्पाद तैयार कर रही हैं। शिमला के रिज मैदान पर शिमला समृद्धि उत्सव में चीड़ की पत्तियों से तैयार किए विभिन्न उत्पाद सबके लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। उत्सव में शिमला कोट पंचायत की महिलाओं के समूह की ओर से बनाए गए चीड़ की पत्तियों के उत्पाद सबको भा रहे हैं।चीड़ की पत्तियों से टोकरी, चपाती बाक्स, फूलदान, पेंसिल बाक्स, पेन स्टैंड, टेबल मेट, ट्रे सहित अन्य उत्पाद स्टाल में बिक्री के लिए लाए गए है।
ग्राम पंचायत कोट की प्रधान नेहा मेहता का कहना है कि HIPA संस्था ने कोट पंचायत को अडॉप्ट किया है और एक हफ्ते का पंचायत में शिविर भी लगाया गया था जिसमे महिलाओ को प्रशिक्षण दिया गया।
इसके अलावा भारत सरकार द्वारा लगभग 3 महीने का एक कैंप लगाया गया था जिसमें महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया था कि किस तरीके से यह चीड़ की पत्तियों के उत्पाद तैयार किया जाए पंचायत की लगभग 100 महिलाएं यह काम कर रही है चीड़ की पत्तियां जंगलों से उठाई जाती है इससे जंगलो में आग का खतरा भी कम हो जाता है इन पत्तीयों को इकट्ठा करने में ना कोई खर्चा होता है ट्रेनिंग में जिस तरीके से सिखाया गया है कि पहले पत्ते को उबालकर और फिर सुखाकर उत्पाद तैयार करते है। गाँव की महिलाए जहाँ भी प्रदर्शनी लगती है कहा स्टॉल लगते है वहां इन उत्पादों को बेचती है जिससे महिलाओ की आय बढ़ रही है।
वहीं गाँव की महिलाओं का कहना है इन उत्पाद को तैयार करने में बहुत मेहनत लगती है पहले घर का काम देखना पड़ता है उसमें से समय निकाल कर फ्री टाइम में ये काम करना पड़ता है। इस उत्पादों की 250 से 1200 तक कीमत है 250 रूपए के प्रोडक्ट को तैयार करने में कम से कम 2 दिन लगते है, ये काम गाँव की महिला और वृद्ध भी करते है इससे महिलाओं को बाहर की दुनिया देखने का मौका भी मिलता है। ओर घर बैठे ही वो पैसे भी कमा रही है।