कांग्रेस का विधायक होने के कारण लोग भुगत रहे खामियाजा
शिमला – सरकार द्वारा हाल में प्रदेश के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में दो सौ डॉक्टरों की नियुक्ति की गई परंतु शिमला जिला के दूरदराज गांव ट्रहाई के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सरकार डॉक्टर के पद को भरना भूल ही गई जहां पर पिछले करीब पांच सालों से डॉक्टर व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ न होने के कारण लोगों को अपना इलाज करवाने सोलन अथवा राजगढ़ जाना पड़ रहा है । इस गांव के लोग पिछले पांच वर्षों से लगातार डॉक्टर का पद भरने के लिए मांग कर रहे हैं लोगों का आरोप है कि कसुंपटी विधानसभा से कांग्रेस पार्टी का विधायक होने के कारण इसका खामियाजा लोग भुगत रहे हैं और सरकार जानबूझ कर इस पीएचसी में स्टाफ नहीं भेज रही है ।
बता दें कि मशोबरा ब्लॉक की पीरन पंचायत में दो स्वास्थ्य संस्थान कार्यरत है जिसमें एक आयुर्वेद अस्पताल पीरन में और दूसरी पीएचसी ट्रहाई में कार्यरत है परंतु दो स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टर ही उपलब्ध नहीं है और लोगों को मजबूरन अपने छुटपुट बिमारी के इलाज के लिए सोलन अथवा राजगढ़ जाना पड़ रहा है । गत 16 अप्रैल 2016 को पीएचसी ट्रहाई का उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर द्वारा किया गया था और पीएचसी के भवन निर्माण के लिए 15 लाख भी स्वीकृत किए गए थे । परंतु गत पांच वर्षों के दौरान किसी भी सरकार द्वारा इस पीएचसी में डॉक्टर सहित अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ का कोई पद नहीं भरा गया जिस कारण इस क्षेत्र के लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं । स्थानीय स्तर पर विभाग द्वारा रखे गए सेवादार द्वारा ही इस पीएचसी का संचालन किया जा रहा है ।
जिला भाजपा सदस्य एवं ट्रहाई गांव के बूथ अध्यक्ष प्रीतम ठाकुर, भगत चंद आन्नद, राम सरन ठाकुर, नंबरदार देवेन्द्र ठाकुर, सुरेश ठाकुर सहित अनेक लोगों ने बताया कि इस पीएचसी में डॉक्टर के पिछलीे छः महीने में कभी दर्शन ही नहीं हुए हैं कभी कभार विभाग महीने में एक- दो बार डेपुटेशन पर भेजते हैं । उन्होने बताया कि 11 अगस्त 2019 को कोटी में आयोजित जनमंच के दौरान भी स्थानीय लोगों द्वारा इस मुददे को उठाया गया था और इस मौके पर जनमंच की अध्यक्षता कर रहे उपाध्यक्ष हिप्र विधानसभा हंस राज ने 15 दिन के भीतर इस समस्या के समाधान का आश्वासन दिया गया था परंतु छः महीने बीत जाने के उपरांत भी इस समस्या का कोई हल नहीं हुआ। और और लोगों को छुटमुट बिमारियों के उपचार के लिए राजगढ़ अथवा सोलन जाना पड़ रहा हैं जिससे जहां लोगों का समय बर्बाद होता है वहीं पर लोगों को बस किराए और दवाईयों के भरकम राशि अदा करनी पड़ती है ।
इसके अतिरिक्त उन्होने बताया कि पीएचसी के उद्घाटन के दौरान विभाग के आग्रह पर गावं के लोगों द्वारा दो वर्ष तक निःशुल्क भवन उपलब्ध करवाया गया , परंतु खेद का विषय है कि विभाग द्वारा पीएचसी के भवन निर्माण के लिए पांच वर्षो में कोई प्रभावी पग नहीं उठाए गए और पिछले दो वर्षो से भवन मालिक का किराया भी अदा नहीं किया है । उन्होने कहा कि इस पीएचसी से इस क्षेत्र की चार पंचायतों जिनमें दो पंचायते सीमा पर लगते राजगढ़ तहसील की भी शामिल है को लाभ मिल सकता था परंतु विभाग के उदासीन रवैये से यह पीएचसी केवल कागजों तक सीमित रह गई है ।
सीएमओ शिमला डॉ0 जितेन्द्र चौहान से जब इस बारे बात की गई तो उन्होने कहा कि पीएचसी में स्टाफ को सरकार द्वारा भरा जाना है । प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में खाली विभिन्न पदों को भरने बारे हर महीने सरकार को अवगत करवाया जाता है। उन्होने बताया कि उनके पास स्टाफ भरने की शक्तियां नहीं है और वह बीएमओ मशोबरा को डेपुटेशन पर स्टाफ भेजने को कहेगें ।
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