शिमला : इस साल सितंबर महीने में पंचायतीराज चुनाव का बिगुल बजेगा। हालांकि पंचायतों के प्रतिनिधियों का कार्यकाल छह जनवरी 2021 को पूरा होने जा रहा है, लेकिन राज्य के जनजातीय जिलों में होने वाली बर्फबारी को ध्यान में रखते हुए चुनावी प्रक्रिया सितंबर माह में ही शुरू हो सकती है। राज्य निर्वाचन आयोग ने भीतर खाते तैयारियां शुरू कर दी है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक निर्वाचन आयोग ने पंचायत पुनर्गठन के लिए सभी डीसी से 31 मार्च से पहले रिपोर्ट भी मांगी है। ताकि पंचायतों के नए वार्ड सहित अन्य समितियों की स्थिति का पता चल सके। प्रदेश सरकार पंचायतीराज और शहरी निकायों के चुनाव एक साथ करवाने की सोच रही है, लेकिन एक्ट में संशोधन के बाद ही ऐसा संभव होगा। हालांकि नगर निगम धर्मशाला का चुनाव इसी साल दिसंबर में तय हैं, लेकिन नगर निगम शिमला के लिए डेढ़ साल का गैप पड़ेगा। ऐसे में शहरी निकाय के चुनाव भी एक साथ करवाने के लिए नगर निगम शिमला एक्ट में संशोधन करना पड़ेगा। सरकार नगर निगम एक्ट में संशोधन कर सकती है। ताकि नगर निगम, पंचायतों, नगर परिषद, नगर पंचायतों का चुनाव एक साथ हो सकें। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में प्रदेश की सभी पंचायतों सहित सभी शहरी निकायों में चुनाव हुए थे। जबकि नगर निगम शिमला का चुनाव 2017 को हुआ था। प्रदेश में नगर निगम शिमला और धर्मशाला के अलावा 52 नगर निकाय हैं। इन 52 नगर निकायों में 31 नगर परिषद और 21 नगर पंचायतें शामिल हैं। इसके अलावा प्रदेश में 12 जिला परिषद और 78 पंचायत समितियां और 3226 ग्राम पंचायतें हैं। वहीं दूसरी तरफ पंचायत पुनर्गठन के बाद 50 के करीब
नई पंचायतें अधिक हो सकती हैं। यानी 3276 पंचायतों में चुनाव हो सकते हैं। प्रदेश सरकार की ओर से पंचायत पुनर्गठन का रास्ता साफ हो चुका है, लेकिन अंतिम मंजूरी के बाद ही असली तस्वीर सामने आएगी। इस महीने होने वाली कैबिनेट मीटिंग में नई पंचायतों पर मुहर लगेगी।
2015 में 48 लाख 25 हजार थे वोटर्स
2015 में जब पंचायतीराज के चुनाव हुए थे तो उस वक्त प्रदेश में 48 लाख 25 हजार 309 वोटर्स थे। जो अब बढ़ कर 52 लाख 88 हजार 729 हो गए हैं। यही नहीं, बल्कि इस साल होने वाले चुनावों में मतदाता और बढ़ सकते हैं। बताया गया कि राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता संशोधन कार्यक्रम भी चलाने वाला है। हालांकि 2015 में पंचायतों के दो हजार वार्डों में चुनाव हुए थे, जो इस साल बढ़ भी सकते हैं। साथ पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों की संख्या भी बढ़ सकती है।
मार्च के बाद कन्सीडर नहीं होगा पुनर्गठन
राज्य निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक पंचायतों का पुनर्गठन का काम 31 मार्च के बाद नहीं होगा। हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलों के डीसी से 31 मार्च से पहले रिपोर्ट मांगी हैं। रिपोर्ट के आधार पर ही नई पंचायतों बनेगी। यानी 31 मार्च तक सभी डीसी से रिपोर्ट नहीं आएगी तो पुनर्गठित पंचायतों में चुनाव पर संकट पड़ सकता है। ऐसे में अब राज्य निर्वाचन आयोग को आगामी दो महीने में सभी जिलों के जिलाधीशों की रिपोर्ट का इंतजार रहेगा।