सोलन: वि-एम्पॉवर टीम ने अपने चौथे लर्निंग सीरीज़ सत्र का आयोजन ‘विश्वासों पर काबू पाने’ विषय पर किया। सत्र की अध्यक्षता कोच जयश्री एम ब्रगांजा ने की।
जयश्री एक आईसीएफ-प्रशिक्षित कोच, एक मनोविज्ञान स्नातक, एनएलपी प्रैक्टिशनर और एक प्रैक्टिसिंग काउंसलर हैं। उन्होंने अपने सत्र की शुरुआत दर्शकों से एक प्रश्न के साथ की, “आप वास्तव में अपने बारे में क्या मानते हैं?”। उन्होंने बताया कि कैसे किसी की अपनी मान्यताएं किसी के जीवन और सफलता की यात्रा में एक अड़चन बन सकती हैं। जयश्री ने यह भी कहा कि हम निरंतर तरीके से कार्य करते हैं और अलग-अलग विचार, विश्वास और भावनाएँ रखते हैं।हालाँकि, आंतरिक रूप से हमारे भीतर एक दुनिया है जो हमारे अनुभवों, साझा विचारों और सांस्कृतिक मानदंडों के अनुसार स्तरित है। उन्होंने सत्र के दौरान छात्रों के साथ आमने-सामने बातचीत की और उनसे पूछा कि उन्हें क्या लगता है कि वे कौन से विश्वास हैं जो उन्हें रोक रहे हैं और उन्हें उड़ने नहीं दे रहे हैं।जयश्री ने कहा की विश्वास वही है जो हम सोचते हैं कि सत्य है लेकिन अनिवार्य रूप से सत्य नहीं हो सकता है। यह सब इस बारे में है कि हम अपने बारे में क्या मानते हैं और अगर ये विश्वास हमें पीछे छोड़ते हैं।
उन्होंने नई मान्यताओं को सुदृढ़ करने के लिए सुज्झाव दे कर सत्र का समापन किया, जैसे कि “मैं साहसी हूं”, “मैं असीम हूं” जैसे उत्साहजनक शब्दों के साथ खुद को आईने में देखना चाहिए और नई मान्यताओं को जोड़ना चाहिए। इन मान्यताओं को 15 दिनों तक धीरे-धीरे लेकिन जोर से कहा जाना चाहिए ताकि कोई भी शब्दों की शक्ति को देख सके।
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